मुझे इतने प्रेम से गले मत लगाओ .. मुझे देश के लिए लड़ना है मैं कमज़ोर न पड़ जाऊँ .. तुम ईश्वर से प्रार्थना करना । मैं अगर मर जाऊँ लड़ते लड़ते .. मुझे बस एक बार छू लेना .. मेरे बच्चों को मुझे मत दिखाना .. क्या पता मैं उठ जाऊँ ? तुम दूसरा विवाह कर लेना .. अगर मैं ना लौटा तो .. मेरा पैसा , घर तुम्हारे नाम पे है .. तुम ख़ुश रहना ऐसे ही । मेरी रुह तुम्हारा दुःख सहन नहीं कर पाएगी ... तुम मेरे बचे अंगों को जलाना मत , दफनाना मत , दान कर देना । मैं तुम्हारी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाया ... ना ही तुम्हें प्यार दे पाया जिसपे तुम्हारा हक़ था .. मैं तुम्हारा अपराधी बन सकता हूँ . देश का नहीं । तुम मेरी किताबें , तुम्हारे प्रेम पत्र जलाना मत .. मेरी और तुम्हारे कुछ फोटोज हैं उन्हें फेंकना मत .. तुम खिडकियाँ खोले रखना मैं तुम्हें देखने आया करूँगा ... हवा , पानी , रोशनी , अंधेरा बन कर । माणिक्य बहुगुना
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।