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अगस्त, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

होली

अगली होली आप लोगों के साथ हो , इसी लिए दूर हूँ । सब को शुभकामनायें , बधाई रंगोत्सव की ... जीवन रंगमय हो सब का , रंग बसन्त सा हो सब का , कुछ हालात हैं हम दूर हैं . वरना पास आ जाता कब का ।                     (परिवार व तुम्हारे लिए ) रंग बरसे जीवन में प्यार का , साथ मिले हर पल यार का , सब सुखी रहें निरोगी रहें , ऐसा रंग हो इस त्यौहार का । (बीजेपी के लिए - भगवा रंग हो इस त्यौहार का )                           ( सखा और सखियों के लिए ) जिन्दगी हर रंग में पले , जिंदगी के हर रंग भले , इस होली होलिका का कर दो दहन , चाहे वो झूठे भले ,                   ( कांग्रेस पार्टी के लिए ) कोई पानी डालता है , कोई स्याही लगता है , मगर दिल्ली की जनता को , केजरीवाल (जी ) समझता है ,। (केजरीवाल (जी) की चालाकी , अन्न (जी ) समझता(ते) है (हैं ) )                       ( आम अदमी पार्टी ) बुरा ना मानो होली है ... बुर मान भी लोगे तो क्या करोगे ब्लॉक ? या कुछ और ? माणिक्य बहुगुना

जूझ

जूझ ...    कौन नहीं जूझ रहा है यहां ?    एक माँ , या बाप , या वो गाय , या नवयुवक ,युवतियाँ ..?   कोई तंगहाली से , कोई लाचारी से ,   कोई स्कूली शिक्षा से तो कोई ....   आरक्षण , आतंक से ...   एक वर्ग तब जूझ रहा था और आज भी एक वर्ग जूझ रहा है ..    अन्नदाता को गोली मिलती है ,     फ़ौजियों को खून की होली .      कश्मीर आतंक में जीता है ,     यहाँ का बच्चा बच्चा दुवाओं से जीत है , जूझना एक बाप को भी पड़ता है .. और माँ को भी ...     नवयुवक जूझ रहा है रोजगार के लिए ,      जूझना ही पड़ता है हर किसी को ..     माँ का खुद ना खा कर ..      पिता का खुद ना सोकर ..      हर कदम , हर डगर ... माणिक्य बहुगुणा

हमें जापान , इजराइल से देश प्रेम सीखना चाहिए

हम सब बस अपना भला चाहने वाले हैं देश का भला चाहने वाले चंद लोग हैं , जापान से इजराइल से हमें देश प्रेम सीखने की जरूरत है । किसी से कुछ सीखना बेईमानी कहाँ की हुई ? खुद को हीरो समझने वाले तथाकथिक ज्ञानी इसे देश की बेइज्जती कहते हैं ..। ( जापान में अगर सरकारी बस की सीट भी फट गई तो उसे सीने ( सिलने ) के लिए लोग उतावले रहते हैं ये केवल बस सीट की ही बात नहीं है अन्य चीजों में भी वहीं स्थिति है । और भारत में सरकारी चीजों का केवल दुरुपयोग ही होता है आप भारतीय रेल ही ले लीजिए । खुद की कमी बताना या उसे दूर करना कोई मूर्खता नहीं , वहीं इजराइल के लोग चाहे कहीं भी रहें वो अपने ही देश की तरक्की के विषय में सोचते हैं , और इससे विपरीत हमारे देश के कुछ तथाकथित बुद्धि जीवी अपने ही देश के टुकडे करने की सोचते हैं , देश के लोग आरक्षण की मांग के लिए सरकारी और निजी वस्तुओं का केवल दोहन करने में लगे रहते हैं ) किसी से कुछ अच्छा अपनाना मेरी दृष्टि में बुरा तो नहीं है , जब हम पश्चिमी देशों की फूहड़ता अपना सकते हैं , निकृष्ट भोजन पद्धति अपना सकते हैं तो अच्छा क्यों नहीं ...? लिखकों कवियों को राजनीति से दूर रहन

मैं

मैं देश की तरक्की चाहता हूँ ..      लेकिन टैक्स चोरी मैं ही करता हूँ । मैं स्वच्छ भारत मिशन में साथ हूँ ..     कूड़ा सड़कों में नदियों में मैं ही फेकता हूँ । मैं काला धन भारत में लाना चाहता हूँ ..      मैं ही तो रिश्वत लेता हूँ । मैं सरकारी टीचर बनना चाहता हूँ ..      लेकिन खुद के बच्चों को पब्लिक स्कूल में पढता हूँ । मैं ही तो हूँ जो अपनी माँ बहन को इज्जत देना चाहता हूँ .   मैं ही बात बात में तेरी माँ तेरी बहन कहता हूँ । मैं ही गाय को माँ कह कर अनशन करता हूँ ..      मैं ही बूचड़खाने में मांस की खरीददारी करता हूँ । मैं ही पत्थर , कब्र को पूजता हूँ  .....     मैं ही अपने माँ पिता को वृद्धा आश्रम छोड़ आता हूँ । मैं ही खुद के बच्चों को समझा पाने में असमर्थ होता हूँ ..    मैं ही हर किसी को सलाह देता फिरता हूँ । मैं ही हर नवरात्र लड़की को पूजते हूँ ..      मैं ही उस नन्हे भ्रूण हो मार देता हूँ । मैं ही दहेज़ प्रथा को अभिशाप मानता हूँ ..      मैं ही तो दहेज़ चाहता हूँ । मैं ही तो मिलावट करता हूँ ..      फिर मैं ही शुद्ध चाहता हूँ । मैं ही जमीन काट ,जंगल काट घर बना रहा हूँ ..

आधुनिक शिक्षा

मैं विश्वविद्यालय कभी गया नहीं , राजनीति और राजनेताओं से बहुत दूर हूँ ... लेकिन इतना समझता हूँ कि देश बट रहा है , हर कोई हीरो बनना चाह रहा है ,चाहे वो फुटपात में लोगों को कुचलकर क्यों ना बनना पड़े .... । कहीं दलित  कहते हैं हम महिषसुर के वंशज हैं ये नवरात्रे बंद करो दुर्गा के लिए अपमानजनक शब्द का प्रयोग करते हैं .. और देश के हर वर्ग को आरक्षण चाहिए आरक्षण की ओट में देश की संपत्ति बर्बाद करते हैं ...कितने लोग अशिक्षा के लिए धरने पर बैठते हैं और कितने लोग भूख के लिये धरने पर बैठते हैं , कितने लोग मानवों को बचाने की बात करते हैं बस तेरी गाय मेरा कुत्ता तेरी बकरी मेरी बिल्ली देश भक्त देश द्रोही इस चक्कर में राजनेता नवयुवकों को फसाते हैं और वो नव युवक उस जाल में सहजता से फसते जाते हैं ...। अन्न जब जीवन के लिए पर्याप्त है तो हत्या क्यों ? और अगर वही जानवर इंसान को खा जाता है तो कोहराम क्यों ? दिल्ली विश्वविद्यालय में जो हुआ वो गलत हुआ मैं पूरी जानकारी से दूर हूँ लेकिन उमर ख़ालिद पर अगर देश द्रोही गतिविधियों में सम्मिलित होने का शक था और आधे से अधिक लोग उसके ख़िलाफ़ थे तो उसे क्यों आमन्त्रित किया

आज की शिक्षा

क्या विश्वविद्यालयी शिक्षा ऐसे ही होती है ? क्या जहाँ देश को बरबाद और देश के टुकड़े करने की बात की जा रही है उसी का नाम विश्विद्यालय है ?  ये किस गुट का है किस ने किया ये ना मैं जानता हूँ ,  लेकिन भारत की कानून व्यवस्था इतनी कमजोर तो कभी भी नहीं थी , और विश्वविद्यालय प्रशसन क्या कर रहा है ? केवल उसका काम इतना भर है कि स्कूल में दाखिला ...मैं अचम्भित हूँ इस घटना से कि विद्यालयों के युवा देश की तरक्की में साथ ना दे कर सब्सिडी उड़ा रहे हैं और देश के विनाश की योजना बना रहे हैं और सरकारें हाथ में हाथ धरे विपक्ष के नेताओं का मुँह तक रहे हैं और विपक्षी उन की पीठ थपथपाती है जो मुज़रिम है ... क्यों ऐसे मुद्दे में भी राजनीति होती है ? क्यों ऐसे मुद्दे में पार्टियां एक नहीं होती ..? पार्टियाँ आती जाती रहेंगी किंतु ये मेरे देश का मान सब का कर्त्तव्य है... जिसे हाईकोर्ट मुज़रिम कह कर सजा देती है उसे ये लोग शहीद कहतें हैं और ऐसे संगठन से जुड़े हुए लोगों को दिल्ली विश्वविद्यालय में ज्ञान का पाठ पढ़ाने अध्यापक बुलाते हैं .. धन्य हो ऐसी शिक्षा प्रणाली ...! और कश्मीर की आज़ादी चाहिए इन को ऐसे ही रहा तो हर राज्

प्रेम सप्ताह

प्रेम सप्ताह गिफ़्ट , फूलों की भरमार , तन में उमंग , आँखों में प्यार , एक सप्ताह बस एक हफ़्ता प्रेम को दिखने का उपहार देने का , वासना , भूख या अकारण आसक्ति का , प्रचलित प्रेम और प्रेमी बदलने की , प्रेम का सार्वजनिकिकरण और पटकथा की , वैलेंटाइन डे के वैलेंटाइन से प्रेम समझने की, या खुद को माँ , बाप को भूलने की , कुछ तो आवश्यकता है . प्रेम के मायने समझने की या .. फूहडता को समझने की ..। माणिक्य बहुगुना

प्रेमी को पत्र

चाहता तो मैं भी हुँ हम दोनों एक हो जाएं , जैसे पानी में चीनी घुल जाती है वैसे , बस एक हो लें , मिल जाएं , शर्बत बन जायें , जैसे बदल जमी में उतार कर पर्वतों को खुद के बाहों में भर देता है , जैसे रंग पानी में घुल जाता है , कभी तुम रंग बनना कभी मैं , और कभी तुम बर्फ बनना में प्रेम की आँच से तुम्हें पानी बना दूंगा और ख़ुद रंग बन कर घुल जाऊंगा तुम में , कभी तुम जमी बनना और मैं बदल , तुम्हारे तन और मेरे तन की दूरी ऐसी हो जैसे मेरा अपना कान मेरा मुँह , मेरे पैर , मन से इतने पास हों जैसे ईश्वर , ये प्रेम इतना शाश्वत हो कि ईश्वर आके बनाये जोड़ी हमारी , हम बस प्रेम करें कृष्ण की तरह , और अगर इससे इतर भी हो तो हमें मंजूर हो , हम एक थे , एक हैं , एक रहेंगे , बस नहीं मिले हैं अब तक तो मिट्टी के पुतले , वो नश्वर हैं ,                      तुम्हारा प्रेमी                      माणिक्य बहुगुणा

एक मुलाकात की आरजू थी

एक मुलाकात की आरजू थी , अब हर मुलाकात पहली सी लगती हैं एक दूसरे को देखते रहने पर भी देखते रहने का मन हर बार होता है , हर छुवन सिमेट रखी हैं मन मंदिर में , मैंने दबा रखे हैं अंतस में कुछ पल स्कूटी के पीछे बैठने के , मेरा तुम को अंक में भर लेना का मन , तुम को तन से बाहर व तन से अन्दर महसूस करने का आनन्द , तुम्हारा सब कुछ सौप देने का प्रेम , समर्पण , त्याग , दया , मैं नहीं जानता इसका मैं हकदार हूँ या नहीं , लेकिन मैं कभी कभी खुद को अयोग्य मानता हूं ... । तुम प्रेम की पराकाष्ठा में मेरी देवी हो .. जिसे पत्थरों में या फूलों से नहीं .. प्रेम से पूजा जा सकता है ...। लेकिन मेरे जीवन के कई पहलुओं से तुम अनजान हो ... एक दम अनजान , एक शिशु की तरह , मैं एक असफ़ल व्यक्ति हूँ , जिसने बचपन से अब तक केवल सिख है , जिसने केवल जीवन में गलतियां की हैं जिसका भुकतान भी किया है ..। मैं अक्षम भी हूँ हर क्षेत्र में , तुम सक्षम , कैसे हूँ तुम्हारे लायक मैं ? नहीं जानता .. लेकिन फिर भी तुम को हृदय से चिपकाये रखना चाहता हूं ..। माणिक्य

विविधता

धर्म , जात , रंग , नश्ल , वर्ण , लिङ्ग , भाषा , शारिरिक विविधता व अन्य के आधार पर मानव को मानव से विभक्त कर एक विशेष दायरे में डाल जा रहा है ।  कुछ उस का फायदा उठा कर पेट पाल रहें हैं , कुछ आवेग में आ कर मारने काटने को उतारू हैं , कुछ पूर्व में हुए अत्याचार को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देख रहे हैं ,  कुछ सच्चाई जाने बिना खुद कानून बने फिर रहे हैं , इस देश ने आज़ाद , कलाम , बोस , पटेल जैसे लोग को देखे था । और आज आतंकवादी , बलात्कारी , चोर - उचक्के देख रहा है । आजाद हम केवल अंग्रेजों से हुए हैं .. खुद की बुराइयों से नहीं और ना ही ऊपर वर्णित शब्दों से , पुरूष सिगरेट से धुँआ उड़ेले तो सभ्य और महिला ऐसी गुस्ताखी करे तो असभ्य । कैसी आज़ादी ? अभी जो हिमांचल में हुआ उस से बहुत आहत हूँ , हम केवल इस लिए आज़ाद हुए थे क्या ? और क्या स्त्री का मतलब केवल काम ( भोग ) है ? लोग तर्क देते हैं पक्ष में कि लड़की ने कपड़े छोटे पहन रखे थे , वो लड़कों के साथ घूमती थी औऱ न जाने क्या क्या .? क्या लड़के के छोटे कपड़े या कम कपड़े पहनने से किसी लड़की को कोई फर्क पड़ा ? क्या उन्होंने खुद का आपा खो कर किसी का बलात्कार कि

चिकित्सक भगवान या राक्षस

चिकित्सक को भगवान समझा जाता है ये एक सच्चा झूठ है , ये मैं कहीं पढ़ी हुई बात नहीं कर रहा हूँ अपितु देखा हुआ बोल रहा हूँ । हमारे देश में एम्स को उत्तम कोटि के चिकित्सालय समझ जाता है बाहरी देश वालों की आवभगत होती है ... लेकिन खुद के देश के टैक्स देने वालों को सुविधाओं का रंग और आलीशान पांच स्टार होटल माफ़िक दिखा कर फुटपात में सोने के लिए मजबूर किया जाता है । मेरे देश का हाल हर क्षेत्र में ऐसा है ...सुविधा भोगियों को और सुविधा दी जाती है और चाकरी की जाती है , इसके विपरीत वंचितों को दुत्कारा जाता है , सही मुँह से बात करना भी वो सही नहीं समझा जाता है , वंचित केवल दलित ही नहीं हैं , हर कोई है मनुवादी भी है अम्बेडकरवादी भी । सरकारी स्कूलों में स्कूली शिक्षा का अभाव है , सरकारी दफ़्तर में ईमानदारी का अभाव है .. । हल्ला केवल दलित का है , गाय का है .. क्या किसी ने कभी मूलभूत सुविधाओं का रोना रोया , क्या फ्लाई ओवर चाट खाओगे जब एक निवाला नहीं मिलेगा तो ? क्या अशिक्षा के दम पर विश्व विजेता बन पाएंगे ? दिल्ली रहते सात - आठ बरस हो गए , लेकिन अभी भी दिल्ली भेजे में नहीं उतरी दिल में क्या उतरेगी ..?

युवा भारत बेरोजगार भारत

सरकारें आती हैं जाती हैं , बेरोजगार , बेरोजगार रह जाता है , सरकारें नौकरी निकलती हैं फॉर्म भरवाती है , फिर स्थगित या लम्बित कर देती हैं , कभी चाचा भतीजों के नाम पर कभी आरक्षण के नाम पर नौकरियाँ मिलती हैं , ना मैं किसी का चाचा न ही भतीजा न आरक्षण है मेरे पास , एक वोट जरूर है , मुझे बस सरकारों ने अपने हिसाब से यूज़ किया , मैं युवा हूँ ... जिस युवा भारत की बात मोदी जी करते हैं , जिससे हम विश्व की महाशक्ति बनेंगे ,   बेरोजगारी के दम पर , या लाखों की फीस देकर ?   स्किल इंडिया क्या है ?    जो स्किल्ड है उसे तो दीजिये नौकरी ।    एम . टेक .का छात्र चपरासी की नौकरी करने को मजबूर है ,    वर्मा जी , शर्मा जी के बच्चों के अलावा सब बेरोजगार हैं ।   प्रतिभाशाली बच्चों को सुविधाएं , नौकरियां , वजीफ़ा ,   साधारण बालक को ना दिशानिर्देश ना नौकरियां ना वज़ीफ़ा ,   देश केवल प्रतिभाशाली बच्चों से ही नहीं वरन सब से चलता है ।   हर तरफ पोस्ट खाली हैं .. इस में ना राज्य सरकारें सुनती हैं ना केंद्र ,   युवा लड़ रहा है ये मेरी पार्टी वो तेरी ,    तेरी से मेरी बेहतर , आक्षेप ,आरोप    वो हीरो बने

नेता

खुशहाली शब्द चुनावी वादों में था , हत्या, लूट नेताजी के इरादों में था , मेरा घर बचे , मेरे बच्चे पढ़ें , जान की भीख माँगता वोटर लाइनों में था , इस शहर के अमीरों ने हवा भी खरीद डाली , मेरी हत्या का जिम्मेदार वो नेता ही था । शिक्षा , उच्चशिक्षा के नाम पर लूटते हैं नेता , शिक्षा बेचने का ठेका तो उसके भतीजे को मिलना था । पक्ष - विपक्ष पति पत्नी हैं ... उन्हें तो हर निशा एक होना था । माणिक्य बहुगुणा