सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

तुम्हारी याद

कई रात तुम्हारी याद आती है 
न जाने क्यों .....?
नहीं सो पाता हूँ रात भर 
न जाने क्यों ......?
तुम्हारे उस नव यौवन को पाने की ललक तो नहीं ?
नहीं नहीं मैं औरों सा नहीं ,
कुछ और चाहता हूँ ,
तुम जानती हो लेकिन अनजानी हो न जाने क्यों ..?
मैं तुम को देखना चाहता हूँ , बात करना चाहता हूँ , लड़ना चाहता हूँ ,
रातों को सपने बुनता हूँ ...
बस करवट बदलता हूँ ..
वक्त न जाने कब बदलेगा ,
अभी बेरोजगार हूँ प्रेम के क़ाबिल नहीं ,
खता की है मैंने ,भोगने दो मुझे ,
बस भीगी पलकें हैं मेरी नव दुल्हन की तरह ,
कुछेक स्मृतियाँ संजोई हैं हृदयालय में ...।

चन्द्र प्रकाश बहुगुना / माणिक्य

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

।। मैं और मेरा भोला पन ।।

लोग चांद तक पहुंच गये .....       मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं....                              लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर  ....                  मैं अभी भी हालातों के उख...

रस्मे-वफा के चलते हम एक नहीं हो सकते

इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते । राह जोहते दिन में , रातों को यादों में जगते । तुम्हारे पापा से जो बात की, उत्तर में वो भी ना बोले । तुम्हारी मम्मी जी तो मुझको निठल्ला , नाकारा क्या - क्या कहते । जग वाले तो हमको यों न मिलने देगे मुझको नीच तुमको उच्च जो कहते । सब की नज़रों में जीरो हूं प्रेयसी , तुम ही जो हीरो कहते । हर पल लबों पर नाम तुम्हारा , ज़्यादातर पक्ति लिखते । मैंने तो निर्णय किया है प्रेयसी , हम प्यार तुम्ही से करते । ये खत लिखा है तुमको रोया हूं लिखते - लिखते । इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते ।

टापर हूँ मैं ।

मैं टापर हूँ बिहार का ..। देश का भविष्य हूँ । चाणक्य हूँ मैं । मैं ही बूद्ध हूँ । नये ज्ञान का सृजन हूँ मैं ..। मैं ही ज्ञान -विज्ञान हूँ । टापर हूँ मैं । माणिक्य बहुगुना