अगली होली आप लोगों के साथ हो , इसी लिए दूर हूँ । सब को शुभकामनायें , बधाई रंगोत्सव की ... जीवन रंगमय हो सब का , रंग बसन्त सा हो सब का , कुछ हालात हैं हम दूर हैं . वरना पास आ जाता कब का । (परिवार व तुम्हारे लिए ) रंग बरसे जीवन में प्यार का , साथ मिले हर पल यार का , सब सुखी रहें निरोगी रहें , ऐसा रंग हो इस त्यौहार का । (बीजेपी के लिए - भगवा रंग हो इस त्यौहार का ) ( सखा और सखियों के लिए ) जिन्दगी हर रंग में पले , जिंदगी के हर रंग भले , इस होली होलिका का कर दो दहन , चाहे वो झूठे भले , ( कांग्रेस पार्टी के लिए ) कोई पानी डालता है , कोई स्याही लगता है , मगर दिल्ली की जनता को , केजरीवाल (जी ) समझता है ,। (केजरीवाल (जी) की चालाकी , अन्न (जी ) समझता(ते) है (हैं ) ) ( आम अदमी पार्टी ) बुरा ना मानो होली है ... बुर मान भी लोगे तो क्या करोगे ब्लॉक ? या कुछ और ? माणिक्य बहुगुना
जूझ ... कौन नहीं जूझ रहा है यहां ? एक माँ , या बाप , या वो गाय , या नवयुवक ,युवतियाँ ..? कोई तंगहाली से , कोई लाचारी से , कोई स्कूली शिक्षा से तो कोई .... आरक्षण , आतंक से ... एक वर्ग तब जूझ रहा था और आज भी एक वर्ग जूझ रहा है .. अन्नदाता को गोली मिलती है , फ़ौजियों को खून की होली . कश्मीर आतंक में जीता है , यहाँ का बच्चा बच्चा दुवाओं से जीत है , जूझना एक बाप को भी पड़ता है .. और माँ को भी ... नवयुवक जूझ रहा है रोजगार के लिए , जूझना ही पड़ता है हर किसी को .. माँ का खुद ना खा कर .. पिता का खुद ना सोकर .. हर कदम , हर डगर ... माणिक्य बहुगुणा