चिकित्सक को भगवान समझा जाता है ये एक सच्चा झूठ है , ये मैं कहीं पढ़ी हुई बात नहीं कर रहा हूँ अपितु देखा हुआ बोल रहा हूँ । हमारे देश में एम्स को उत्तम कोटि के चिकित्सालय समझ जाता है बाहरी देश वालों की आवभगत होती है ... लेकिन खुद के देश के टैक्स देने वालों को सुविधाओं का रंग और आलीशान पांच स्टार होटल माफ़िक दिखा कर फुटपात में सोने के लिए मजबूर किया जाता है । मेरे देश का हाल हर क्षेत्र में ऐसा है ...सुविधा भोगियों को और सुविधा दी जाती है और चाकरी की जाती है , इसके विपरीत वंचितों को दुत्कारा जाता है , सही मुँह से बात करना भी वो सही नहीं समझा जाता है , वंचित केवल दलित ही नहीं हैं , हर कोई है मनुवादी भी है अम्बेडकरवादी भी ।
सरकारी स्कूलों में स्कूली शिक्षा का अभाव है , सरकारी दफ़्तर में ईमानदारी का अभाव है .. ।
हल्ला केवल दलित का है , गाय का है ..
क्या किसी ने कभी मूलभूत सुविधाओं का रोना रोया , क्या फ्लाई ओवर चाट खाओगे जब एक निवाला नहीं मिलेगा तो ?
क्या अशिक्षा के दम पर विश्व विजेता बन पाएंगे ?
दिल्ली रहते सात - आठ बरस हो गए , लेकिन अभी भी दिल्ली भेजे में नहीं उतरी दिल में क्या उतरेगी ..?
इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते । राह जोहते दिन में , रातों को यादों में जगते । तुम्हारे पापा से जो बात की, उत्तर में वो भी ना बोले । तुम्हारी मम्मी जी तो मुझको निठल्ला , नाकारा क्या - क्या कहते । जग वाले तो हमको यों न मिलने देगे मुझको नीच तुमको उच्च जो कहते । सब की नज़रों में जीरो हूं प्रेयसी , तुम ही जो हीरो कहते । हर पल लबों पर नाम तुम्हारा , ज़्यादातर पक्ति लिखते । मैंने तो निर्णय किया है प्रेयसी , हम प्यार तुम्ही से करते । ये खत लिखा है तुमको रोया हूं लिखते - लिखते । इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते ।
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