क्या विश्वविद्यालयी शिक्षा ऐसे ही होती है ? क्या जहाँ देश को बरबाद और देश के टुकड़े करने की बात की जा रही है उसी का नाम विश्विद्यालय है ? ये किस गुट का है किस ने किया ये ना मैं जानता हूँ , लेकिन भारत की कानून व्यवस्था इतनी कमजोर तो कभी भी नहीं थी , और विश्वविद्यालय प्रशसन क्या कर रहा है ? केवल उसका काम इतना भर है कि स्कूल में दाखिला ...मैं अचम्भित हूँ इस घटना से कि विद्यालयों के युवा देश की तरक्की में साथ ना दे कर सब्सिडी उड़ा रहे हैं और देश के विनाश की योजना बना रहे हैं और सरकारें हाथ में हाथ धरे विपक्ष के नेताओं का मुँह तक रहे हैं और विपक्षी उन की पीठ थपथपाती है जो मुज़रिम है ... क्यों ऐसे मुद्दे में भी राजनीति होती है ? क्यों ऐसे मुद्दे में पार्टियां एक नहीं होती ..? पार्टियाँ आती जाती रहेंगी किंतु ये मेरे देश का मान सब का कर्त्तव्य है... जिसे हाईकोर्ट मुज़रिम कह कर सजा देती है उसे ये लोग शहीद कहतें हैं और ऐसे संगठन से जुड़े हुए लोगों को दिल्ली विश्वविद्यालय में ज्ञान का पाठ पढ़ाने अध्यापक बुलाते हैं .. धन्य हो ऐसी शिक्षा प्रणाली ...! और कश्मीर की आज़ादी चाहिए इन को ऐसे ही रहा तो हर राज्य से आवाज़ आएगी कि हमें अलग देश चाहिए ...।
हा धिक ...
माणिक्य
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