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वर्ण पिरामिड

तू
मुझे
जग से
प्यारा ही है
ना छोड़ के जा
मेरी पूजा भी तू
माँ जमीं में देवता ।।

मैं
बिन
तेरे हूँ
अधूरा सा
गम में मारा
लगता क्यों सारा
बनता हूँ .....बेचारा ।।

चंद्रप्रकाश बहुगुणा /माणिक्य /पंकज

टिप्पणियाँ



  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 10 अक्टूबर2015 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बहुत आभार ... मेरी रचना को इस योग्य समझने के लिए .. कुछ समय से ई- मेल सेवा और ब्लॉग से दूर था आज जब देखा तो हर्ष हुआ ...पुनः सादर नमन

    जवाब देंहटाएं

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