भावाभिव्यक्ति नहीं है केवल कविता ,
पंक्तियों की तुकबंदी , भाषा में निपुणता नहीं है कविता ।
केवल हास्य , नवरसदि भी नहीं है कविता ,
और ना ही छंद,अलंकार से शुशोभित है कविता ।
तो कविता क्या है -
सम्पूर्ण जग को एक दृस्टि से दिखने वाली है कविता ,
माँ के प्यार की तरह है कविता ।
हर किसी के मन का उद्गार बयां करती है कविता ,
राम को राम दिखये और रहिमन को रहिमान ,
जग वालो का दुःख हरे है कविता
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