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याकूब मेमन को फांसी क्यों नहीं ?

सजा शब्द का प्रयोग हम लोग आमतौर पर दैनिक दिनचर्या में करते हैं ।
वो चाहे आप को आप की माँ ने सजा का फरमान सुनाया हो या पापा ने या फिर अध्यापक ने पर हम लोग इस शब्द से अनभिज्ञ नहीं हैं ।
लेकिन मैं ख़ुद सजा/दण्ड को गलत मानता हूँ क्योंकि जहाँ तक हो प्यार से समझना चाहिए । और अगर प्यार से काम बन रहा है तो सजा देनी भी नहीं चाहिए ।
लेकिन कई स्थानों में कई लोगों को प्यार से बात समझ नहीं आती है .., तो उन को उस के अपराध के अनुकूल दण्ड / सजा देनी चाहिए ।
क्योंकि अगर हम किसी व्यक्ति को सजा नहीं देते हैं तो वह शायद फिर वही काम करे ..। और अगर ना भी करे तो उसे देख कर अन्य अवश्य करेंगे जो पूरे समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ।
एक मनुष्य को सजा देने से अगर समाज का भला हो रहा है तो शायद उसे सजा देनी चाहिए ।
सजा का प्रावधान केवल निजी जीवन में ही नहीं अपितु सरकारी व्यवस्था में भी इसका प्रयोग किया जाता है ।
जो कई प्रकार की हो सकती है जिससे में से प्रमुख है फाँसी की सजा या मृत्यु दण्ड ...
यह सबसे खतरनाक तरीका है सजा देना का में इस सजा की निंदा करता हूँ किन्तु जो लोग समाज के लिए खतरनाक हैं उन को ये सजा देनी चाहिए ।
अब बात करता हूँ अपने शीर्षक की कि याकूब मेमन को फाँसी दी जाय या नहीं ??
उससे पहले मैं तथ्य प्रस्तुत करता हूँ और निर्णय आप पर छोड़ता हूँ कि क्या करना चाहिए ?
याकूब 12 मार्च 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाके का आरोपी है ।
इस घटना के दौरान दर्जनों जगहों पर बम धमाके हुए ।
जिसमें 260 लोग मारे गए . 700 से अधिक घायल हुए ।
और 2007 में ही याकूब को नागपुर सेंट्रल जेल ने मुजरिम करार देते हुए फाँसी की सजा सुना दी थी ।

अब आप निर्णय कीजिये कि अगर याकूब को छोड़ा जाता हैं तो कई व्यक्ति फिर याकूब बन निर्दोषों को मरेंगे ।
क्योंकि उन्हें जेल में भोजन मिलेगा ही और थोड़ा परिश्रम करने के उपरांत एक मनुष्य के जीवित रहने के सारे संसाधन उपलब्ध हो जायेंगे यहाँ तक कि वह शिक्षा भी पा सकता है ।और निर्दोष गरीब भारतीय को शिक्षा तक नहीं मिलती है । और ऐसे याकूब जैसे लोगों को शिक्षा तक भी दी जाती है ।। तो आप ही बताइये कि किसान दिन रात एक कर के मेहनत करे और खुद शिक्षा और  अच्छे भोजन से वंचित रहे आखिर क्यों ? और एक कैदी को सारी सुविधाएँ दी जाती हैं ।
मैं ये भी कतई नहीं कह रहा हूँ कि कैदी को शिक्षा मत दो लेकिन जो देश के लिए तन मन धन सब कुछ लगा रहे हैं उस को कम से कम कैदियों से अच्छी सुविधा तो मिले बस ।
और भी सरकार किसान को आत्म हत्या के लिए छोड़ देती है और जो कैदी हैं उन को सजा सुनने में ही 20 -25 साल लग जाते हैं और सजा तय करने में धन्य है ऐसा कानून  ।
जो हमें जीवित रहने के लिए भोजन प्रदान करते हैं उन किसानों को क्या मिलता है ?कुछ नहीं बस खून चूसा जाता है ।
और अपराधियों को खुली छूट दी जाती है ।वह चाहे अभिनेता या नेता ही क्यों ना हो उस को भी उसके अपराध के अनुसार दण्ड देना चाहिए ।
सरकार को क़ानूनी व्यवस्था को लचीला बनाना चाहिए ।
जिस दिन जिस का अपराध सिद्ध हो उसे उसी दिन सजा दे देनी चाहिए .., क्यों उसे जेल में रखकर सरकारी पूँजी बरबाद की जाय  ।
मैं आज कल टेलीविजन में कई अभिनेताओं और नेताओं का वक्तव्य सुनता हूँ कि याकूब की सजा माफ़ कर दी जाय । और कई कह रहे थे सजा बदल कर उम्र कैद कर दी जाय ।
ऐसे लोगों से पूछना चाहिए कि जब बम धमाका हुआ और सैकड़ों लोग मरे गए और न जाने उनके परिवार का क्या हुआ ?? किसी ने अपना छोटा सा मासूम बच्चा खोया होगा और किसी ने माँ किसी ने पिता किसी ने दादा जी की अंगुली पकडे हुए पोता .,और किसी ने आँगन की खुसी बिटिया खोई होगी क्या क़सूर था इन लोगों का , क्यों इन के परिवार की खुसी छीन ली गई । और अगर ये राजनेता , अभिनेता इन के परिवार की वो खुसी लौट दें तो मैं कहता हूँ याकूब को छोड़ दिया जाय या नेता अभिनेता ने इस बम धमाके में अपना कोई खोया है क्या अगर खोया है तो छोड़ दिया जाय ।
सलमान खान की इस में टिप्पणी आती है ...भाई जो खुद अपराधी है उस की टिप्पणी के कोई मायने नहीं हैं ।
एक किसान से पूछो कि याकूब को छोड़ दिया जाय ।
एक माँ से पूछो जिस ने उस हमले में अपनी मासूम सी 2 साल की बच्ची को खो दिया था  ।
उस बेटी से पूछो जिस ने अपना सब कुछ खो दिया ।
एक पत्नी से पूछो ..ये सब अगर कहते हैं कि फाँसी माफ़ कर दो तो कर दो फाँसी माफ़ ।
जो बयान बजी कर रहे हैं नेता या अभिनेता क्या किसी आतंकी हमले में वो मारे गए नहीं ना मरते तो हम साधारण लोग हैं तो राय भी हमारी ही हो और दूसरी बात अगर कोर्ट ने सजा सुना दी है तो उससे बढ़ कर भारतीय नागरिकों के लिए कुछ भी नहीं है उस का सम्मान करना चाहिए ।
और हाँ कई लोग कहते हैं कि याकूब मुस्लिम है इस लिए उसे फाँसी दी जा रही है । लेकिन मैं कहता हूँ कि ऐसे लोगों का कोई धर्म नहीं होता क्या मुंबई हमले में केवल हिन्दू ही मरे थे ?
ऐसे लोग बस राक्षस होते हैं । इस तरह के अपराधियों को नहीं माफ़ करना चाहिए वो चाहे किसी भी धर्म का क्यों ना हो ।
कई लोगों का मानना है आतंकवादी बनने का मुख्य कारण अशिक्षा है जो सारासर गलत है  , अशक्षित व्यक्ति कभी भी गलत नहीं कर सकता है क्योंकि उस में दया , प्रेम जैसे मर्म होते हैं । खुद याकूब चार्टर्ड अकाउंटेंड था । और यह बार बार देखा भी गया है कि शिक्षित ही ऐसे काम करते हैं ।
तो आप तय करो कि सजा क्यों नहीं दी जाय ..?
मैं वैसे भी होता कौन हूँ उसे सजा या माफ़ करने वाल परन्तु मैं फैसला आप के हाथ छोड़ता हूँ । आप खुद सोचिये कि भगवान ना करे लेकिन अगर आप का परिवार इस तरह की चपेट में आता है तो आप माफ़ कर देंगें?
सोचिये और बताइये ...?

चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य

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