सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

चेहरे के भाव

चेहरे के भाव ना जाने कितने हैं , दुःख में अलग सुख में अलग किसी से नाराज हो अलग किसी से प्यार हो अलग बड़े लोगों के लिए अलग छोटे लोगों के लिए अलग ...सम्मान में अलग..... और न जाने कितने भाव होते हैं ।
लेकिन मित्रो आप समझ रहे होंगे कि "चेहरे के भाव" शीर्षक में भी कुछ लिखा जा सकता है क्या ?
भाईयो , बहनो और प्रेमियो "चेहरे के भाव" में तो एक पूरा ग्रन्थ ही तैयार कर दूँ । लेकिन ही ही ही नहीं इतना आप लोगों को नहीं बोर करूँगा ..... चेहरे के भाव की बात आई है तो महिलाओं से शुरू करते हैं क्योंकि
विशेष कर महिलाओं की फेस एक्सप्रेशंस कितनी जल्दी बदल जाती है ये तो शायद वो भी नहीं जानती हैं ।
पर जो भी हो आप ने खुद महसूस किया होगा पब्लिक प्लेस में महिलाओं को एक टकी लगा कर देखो तब पता चलेगा की छटी का दूध क्या होता है ...। विशेष कर भारतीय समाज में मेट्रो में आप महिला वाली सिट पर बैठे हो और उठने का नाम नहीं ले रहे हो तो एक स्त्री के चेहरे के भाव देखिये देखने लायक होते हैं ।
जब आप बिना वजह बात करते हैं किसी स्त्री या लड़की से जब आप चले जाते हैं तो तब के भाव क्या भाव होते हैं ?
ऐसा मुँह बनती हैं जैसे कि मुँह में करेला या नीम हो ।
आप किसी महिला मित्र के साथ कहीं जाते हैं और बिले देते समय आप खिसक लेते हैं तब की मुखाकृति देखिये आप ऐसा लगता है लड़की दहेज़ प्रथा से प्रताड़ित जान पड़ती है ।
एक परमानेंट पत्नी के मुखाकृति अलग होती है ...इस विषय में शादीशुदा पुरुष ही बेहतर बता पायेगा ।
और कुछ ऐसी भी लडकियाँ होती है जिन्होंने जीन्स कभी पहनी नहीं लेकिन पुरुष सखा के अनुरोध ने उस के मन में इच्छा जाग्रत की जब वो पहली बार जीन्स पहनती है तो उसकी मुखाकृति देखिये ।
ऐसा लगता है जैसे खुशियाँ यहीं सिमट गई हों ।
कई लड़कियों तो इतनी खतरनाक मुखाकृति बनती हैं कि मित्र सखा परेसान हो जाता है । जैसे मैक डी गए पिज़्ज़ा ऑडर कराया थोड़ा सस्ता वाला क्योंकि बॉयफ्रैंड बोल तो देता है कि जानू /बाबू कल हम मैक डी जायेंगे लेकिन पैसे मागने तो घर वालों से ही पड़ते हैं या तो माँ से मागो या बड़ी बहन से या बड़े भाई से अगर आप के अनुरोध से भी इन लोगों ने नहीं दिया तो फिर या तो अपना गुल्लक तोड़ो या दोस्त से उधार लो क्योंकि बेटे लड़की का सवाल है कहीं इंसल्ट ना हो जाये ...।
और ऑर्डर किया पिज़्ज़ा आया सस्ता पिज्ज़ा देख लड़की ओ माय गॉड क्या मुँह बनती हैं बाबा रे बाबा ....???
और फिर फन फनाते हुए वहां से चली आतीं हैं लड़का कितना कहता है जानू/बाबू बट उसे कुछ नहीं फर्क पड़ता है .....धन्य हो ऐसे बॉयफ्रैंड ।
कुछ गर्ल्स  गिफ्ट का शौक़ रखती हैं उनको रहता है कि गिफ्ट चाहिए तो चाहिए ,, अगर नहीं मिला तो उनका मुँह तो लंगूर की तरह लटक जाता है ।
मानो सब कुछ लुट गया हो ......।
अपनी गर्ल फ्रेंड के सामने किसी दूसरी गर्ल्स की तारीफ कर के देखो ....बाबा रे अगर उस दिन आप को क़िस्सी देने की बात हुई थी तो भाई लोगो भूल जाओ ...।
उस टाइम तो उस की मुखकृति एक पूतना की तरह डरावनी होती है ...।
आप से पत्नी पूछती है कैसी लग रही हूँ आप ने उत्तर नेगेटिव में दिया तो समझ लो आज बाहर होटल में ही खाना खाना होगा और शाम को जब आप घर लौटो तो भाभी जी की फ़ेवरेट वस्तु नहीं लाए तो तब की मुखाकृति क्या मस्त होती है ?
एक दम गुस्सैल सांप ?? फ़ुफ़ुफ़ुफ़ुफ़ु बाबरे ..।
ऐसी स्थिति में अगर पति कुछ बोला तो आज उस को अतिथि कक्ष में ही मच्छरों के साथ सोना पड़ेगा ।।
या कईयों का स्वभाव होता है कुछ भी हो लेकिन उन की बत्तीसी तो दिखेगी ही ।
या फिर कई मुँह पिचकाऐ बैठे रहते हैं ।
अब बारी आती है हमारे समाज के पुरुषों की ...
एक शराबी की  फेस एक्सप्रेशंस देखिये सारे हीरोज़ की छवि आप को दिखेगी ...?
ही ही ही ही ....
भाई मांग तुझे क्या चाहिए  ??
जब कि खुद उधार की पीकर वो ऐसा कहता है ।
और ना जाने क्या क्या ??
एक वो भद्र पुरुष होते हैं जिन के मुह में हमेशा गुटका , तम्बाकू , पान भरा होता है ...।
उन के फेस एक्सप्रेशंस तो क्या लाजबाब होते हैं ओ माय गॉड .....।
भरी सभा में पत्नी द्वारा प्रताड़ित पति का फेस एक्सप्रेशंस देखना यारो लगेगा कि दुनियाँ में इससे बढ़ कर कोई विचारा नहीं है ।
और एक वो लैंडे होते हैं जो लड़कियां छेड़ते हैं उन के मुँह के भाव देखना लगेगा किसी रयासत के महाराजा हो ...और जेव भी बाप के खर्च पर चलते है फिर भी ।।
और वो लौंडे और मस्त होते हैं जो इस तरह के गैंग का संचालन करते हैं ओ माय गॉड ....?
और कई पुरुष खुद की मर्दानगी में गर्वान्वित होते हुए अपनी बिच्छु के डांक सी मूंछ को ताव देते हैं उन के चहरे के भाव देखो मजा आ जायेगा ।
और अगर उन्हीं मूँछधारी से किसी महिला या किसी की मदद् के लिए बोलो तो रोने सी सक्ल बना देते हैं ।
धन्य हो ऐसे पुरुष ....?
अपनी सास ससुर के सामने के भाव भी
मस्त होते हैं उस टाइम ऐसा लगता है लड़की के माँ बाप को कि इतने शरीफ़ दामाद हम को मिल कैसे गए ।
वो तो पत्नी को पता होता है कि आप कितने शरीफ हो ।
और गर्ल फ्रेंड के साथ तो आप सुपर साउथ के हीरो बने फिरते हो ।
बाबरे कैसे करते हैं ना जाने ...?
ये लोग जाने कितने मुखोटे लगये रखते हैं माँ के समने अलग , पापा के सामने अलग , पत्नी के सामने अलग , और गर्ल फ्रेंड के सामने अलग ना जाने कितने फेस एक्सप्रेशंस हैं लोगों के में एक चेहरा लिया घूमता हूँ तो सब पागल कहते हैं लेकिन हमें खुद के अस्तित्व में रहने चाहिए जैसे हो वैसे रहो बस ।।।
लिखने को बहुत है लेकिन अब बस ।

चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्रेम का सात्विक अर्थ

प्यार है क्या ? यह प्रश्न हर किसी के मन में आता होगा । कई लोग इसे वासना के तराजू से तौलने की कोशिश करते हैं और कई केवल स्वार्थपूर्ति लेकिन ये सब हमारी गलती नहीं है आधुनिक समाज के मानव का स्वभाव है । लेकिन प्रेम/प्यार इन चीजों से काफ़ी आगे है ,उदाहरण स्वरूप आप एक कुत्ते के पिल्ले से प्यार करते हैं तो आप उस से कुछ आश रखते हो क्या ?और एक माँ से पूछना कि उस का जो वात्सल्य तुम्हारे प्रति है उस प्रेम के बदले वह कुछ चाहती है क्या ? नहीं ना तो तुम इसे स्वार्थ के तराजू से तौलने की क्यों कोशिश करते हो ? मुझे नहीं समझ आता शायद ये मुझ जैसे व्यक्ति के समझ से परे है । और प्यार हम किसी से भी करें बस उसका नाम बदल जाता है --- एक बच्चे का माँ से जो प्यार होता है वह वात्सल्य कहलाता है । किसी जानवर या अन्य प्राणी से किया प्यार दया भाव या आत्मीयता का भाव जाग्रत करता है । अपनी बहन,भाई और अन्य रिश्तों में जो प्यार होता है वह भी कहीं ना कहीं आत्मीयता के अर्थ को संजोए रखता है । और हमारा प्रकृति के प्रति प्रेम उसे तो हम शायद ही शब्दों के तराजू से तोल पाएं क्योंकि उस में कोई भी स्वार्थ नहीं है बस खोने का म

।। तुम ।।

रंगे ग़ुलाब सी तुम ... सपनों का सरताज़ सी तुम ... मैं यों ही सो जाना चाहता हूँ .. जब से सपनों में आई हो तुम .... ©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य

"संस्कृत" तुझ से कौन नहीं चिरपरिचित

खग विहग करते गुण गान , शिष्य रखते गुरु का मान .. हमने पूजा तुझको वेद पुराण , स्वार्थ हित के लिए निकला नया नीति विज्ञान ।। उन्मूलन के लिए बन गए भाषा विज्ञान , क्यों मिलते हैं कुछ मृत अवशेष .. तुझ बिन क्या है औरों में विशेष , क्या नहीं था इसके पास ... क्या रही होगी हम को इससे आस , लेकिन तुझ से कौन नहीं चिरपरिचिय ।। हर घर में होता गुण गान .. हर साहित्य में होता मान ... फिर क्यों नहीं करते तेरा सजीव गान , क्यों वेद , पुराण उनिषद, षड्दर्शन में है मान .. लेकिन तुझ से कौन नहीं चिरपरिचित ।।