सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

तुम चाँद बन आना

तुम चाँद बन आना...
मेरे कमरे के पास ,
कुछ इठलाना ..
कुछ मुस्कुराना,
वो अँधेरे में रौशनी ...
बन खिड़की से झांकना ,
मुझे उठना ...
कुछ देर इन कन्धों में ...
सिर रखना ,
कुछ गुनगुनाना ..
हँसना, हँसना ...
वो स्वेत धवल सा मन ..
को भाना ..
और कहते तुम भी मुझे को भाते हो ,
बस मज़बूरी अमावस की..,
मैं कहता एक दिन की बात करती हो ..
मैं पल - पल तुझ में जीत हूँ ..
कुछ स्वेत अश्रु बहते नैनन से ..
वो तारे बन जाते हैं ।
सूरज की किरणें जब थल में ..
       आ जाती हैं ,
वो मज़बूरी में मुझे छोड़कर जाती है ।
काश निश दिन ये ..
    दिनचर्या होती ।।
काश यूँ ही हर पल ...
          वो साथ होती ।।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

।। सम्भावना ।।

               ।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...

वर्ण पिरामिड

तू मुझे जग से प्यारा ही है ना छोड़ के जा मेरी पूजा भी तू माँ जमीं में देवता ।। मैं बिन तेरे हूँ अधूरा सा गम में मारा लगता क्यों सारा बनता हूँ .....बेचारा ।। चंद्रप्रकाश बहुगुणा /म...

चिकित्सक भगवान या राक्षस

चिकित्सक को भगवान समझा जाता है ये एक सच्चा झूठ है , ये मैं कहीं पढ़ी हुई बात नहीं कर रहा हूँ अपितु देखा हुआ बोल रहा हूँ । हमारे देश में एम्स को उत्तम कोटि के चिकित्सालय समझ जाता ह...