।। माँ ना भेज मुझे परदेस ।।
माँ ना भेज मुझे परदेस ।
ना रह पाऊँगा में बाबू जी की फटकार बिन ,
वो दादी के दुलार बिन ।
वो घन्टों किस के गोद में सर रखूंगा मैं ,
वो छोटी-छोटी बातों में किससे रुठुंगा मैं ।
माँ ना भेज मुझे परदेस ,
मैं न रह पाऊँगा ।
माँ तू कहती है तुझे पढ़ लिख बड़ा होना है ,
मैं कहता हूं नहीं होना मुझे बड़ा ।
नहीं लेनी मैंने स्वार्थ परक शिक्षा ,
नहीं जाना परदेस माँ ।
वो बाबूजी के कुर्तों को कौन समहालेगा माँ ,
वो दादी को खट्टी -मीठी टाफी कौन खिलाएगा माँ ।
मेरी बकरी को कौन चुगाएगा माँ ,
और ये खेत खलिहान,बाग , बग़ीचे कौन देखेगा माँ ।
माँ ना भेज मुझे परदेस ।।
#चन्द्र_प्रकाश_बहुगुना
लोग चांद तक पहुंच गये ..... मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं.... लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर .... मैं अभी भी हालातों के उख...
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