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दोस्त मिल जाये तो क्या गम

आप सा एक दोस्त हो तो ....
         जिंदगी में क्या गम ,
ना मिले कोई खुसी कोई गम नहीं ...
    बस आप का साथ ना हो कम ।

रंजो ए गम में डूबी है जिन्दगी ...
हर किसी की आज कल ,
मैं भी डूब जाता उस दरिये में मगर..
आप सा एक दोस्त है तो क्या गम ।

दोस्त तो मिले हजार दो हजार ...
मगर अहसास नया नहीं था ,
उन हजारों से बेहतर मिला ...
दोस्त आप में तो क्या कम ।

यूं ही हँसो हँसते रहो ए दोस्त ..
क्योंकि दुनियाँ का कोई भरोसा नहीं ,
कल किसने देखा ...
आज हँस लिए तो क्या गम ।

भोला मन नटखट बातें अच्छी लगती हैं ......
ये अटक मुस्कान अच्छी लगती है ,
तुम्हारी सुरीली आवाज अच्छी लगती है .....
तुम ऐसी ही रही तो क्या गम ।।

दोस्त का पर्यायवाची शायद तुम हो ,
उस उगते सूरज की मुस्कान तुम हो ,
चाँद तारों की हँसी रात तुम हो ....
ऐसा अगर आपका एक दोस्त हो तो क्या गम ।

तुम्हारा भोला पन ,हर ताल पर थिरकते तुम्हारे ये होठ .....
मोती से तुम्हारे दन्त ,
ऐसा सुन्दर दोस्त हो तो क्या गम ।।

तुम हर वस्त्र में अच्छी दिखती हो ..
तुम्हारी हर बात अच्छी लगती है ,
जिन्दगी एक सफर है मेरे दोस्त ..
दो कदम कोई साथ चलने को मिल जाये तो क्या गम ।।

चंद्र प्रकाश/माणिक्य/पंकज

   

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