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मेनका का चीर हरण

आहर निद्रा भय मैथुनं च सामान्यमेतत                  पशुभिर्नराणाम्
धर्मो हि तेषाम् अधिको विशेषो धर्मेण हीना  पशुभिः समाना ।।

ऊपर की पक्तियों से स्पष्ट है कि मनुष्य में भी जानवरों की भाँति ही गुण दोष होते हैं लेकिन जो हम मनुष्यों में विशेष है वो है धर्म जिस मनुष्य में धर्म है वही असल में  मनुष्य है । आगे में एक व्यंग्य से परिपूर्ण कथानक प्रस्तुत कर रहा हूं । एवं आप सभी से निवेदन है कि इसे अन्यथा ना लें परंतु ये सच्चाई है ।  ऐसा ही एक हास्य व व्यग्य से पूर्ण कथानक सच्चाई के धरातल पर बैठकर लिखने की कोशिश की है आशा है आप प्रतिक्रिया दें  । वर्तमान संदर्भ में देखा जाय तो यह कथानक
सही दिशा में है क्योंकि आज साधु का मतलब बहुत हद तक बदल चुका है साधु ही क्या सारा प्रशासन भी इसकी चपेट से बचा नहीं है मंत्री से लेकर सन्तरी भी इस में फस चुके हैं । लेकिन कई लोग इसे स्विकारने में देरी कर देते हैं या जब तक उनके साथ न बीते तब तक नहीं समझते हैं मतलब वो इन्तजार करते हैं कि मेरा साथ तो नहीं हुआ आदि आदि । अपने धर्म में आस्था रखना सही बात है लेकिन बिना सोचे समझे किसी भी मनुष्य को भगवान की पदवी देना भी उचित नहीं  -

विश्वामित्र जी के तप को भंग करने का दुस्साहस करने वाली मेनका को  इन्द्र ने मिलने के लिए Whatsapp से संदेश किया की फ़ौरन मिलो ।
मेनका Answered - Ok.
कुछ क्षण में मेनका हाज़िर हो गई ।
मेनका - भगवन अचानक बुलाने का कारण क्या है मैं जान सकती हूं ??
इन्द्र- देवी पृथ्वी लोक में एक बाबा योगियों का स्वाग कर के लोगों को लूट रहा है तुम्हें जाकर उसे सबक़ सिखाना है ।
मेनका का मन ना करने का था लेकिन वो इन्द्र देव को ना भी नहीं कह सकती थी । सिर हिलाकर उत्तर हाँ मैं दिया ।और इन्द्र देव ने बाबा की सारी Detail दे दी । मेनका ब्राह्मचर्य धारी बाबा के आश्रम में जा पहुँची ।
बाबा जी माँर्निंग वाक से लौटे थे । पिछले दिनों अधिक मेवे मिष्ठान्न  भक्षण करने से बाबा जी का वज़न सत्तर किलो से बढ़ कर पिचासी किलो हो गया था । तो माँर्निग वाक तो बनता है  ।
चारों ओर से सेविकाओं से घिरे हुए बाबा देवता से कम थोड़ी ना हैं । और स्वभाव से भोगी नाम था " ब्राह्मचर्य श्री महाराज "बाबा जी प्रवचन के लिए तैयार हुए उन्हें तैयार करने एक विदेशी महिला आई जिसकी हाइट तकरिबन पाँच फुट होगी सुन्दर एवं बाबा जी की अनन्य सेविका थी ।
तकरीबन एक घन्टे मैं बाबा जी तैयार हुए सर पे लाल पगड़ी गले में दो - चार माला और सफ़ेद कुर्ता और धोती पहने बाहर निकले उस समय विदूषक से कम भी प्रतीत नहीं हो रहे थे फिर भी बाबा फूल प्रतीत हो रहे थे और सेविकायें अली । कुछ ही क्षण में बाबा अपने भक्तों के मध्ये लगी अत्यधुनिक कुर्सी में विराजे । भक्तों की  जय -जयकार से पूरा पंडाल गूँज उठा । उसी पंडाल में मेनका भी साधारण वेश धरे उपस्थित थी । बाबा ने प्रवचन आरंभ किये । सब प्रेम पूर्वक प्रवचनों का रसास्वादन कर रहे थे विशेषकर महिलाएं ।
प्रवचन खत्म हुआ , मेनका साधारण वेश धरे बाबा जी के पास पहुँची अपनी समस्या बताई कि वह दूसरे राज्य से आई है ,और भटक गई है और अनेकों समस्याओं से परेशान है।बाबा जी ने सब सुना और फिर भक्त मंडली को छुट्टी देकर मेनका से रुकने के लिए कहा कुछ समय आँख बन्द कर ध्यान की मुद्रा में सब के मध्य विराजे ।और कुछ क्षण बाद आँखें खोली कुछ बड बडाते हुए इशारे से कहा कि इसे दो चार दिन रुकना होगा ।
मेनका मान गई । और कहा गया कि मेनका को अतिथि कक्ष दिया जाय वही हुआ , सेवकों ने तदनुसार किया । कुछ समय में मेनका को मिलने को बाबा ने इच्छा ज़ाहिर की बाबा का फरमान सुन मेनका तत्क्षण वहाँ पहुँची कुशल क्षेम पूछा गया ।
मेनका ने सकुशलता की बात की ,
बाबा ने पुनः समस्या व समस्या का कारण जाना , और कुछ इशारे से अश्लील बात कही लेकिन मेनका समझ कर भी ना समझ बनी रही ।बाबा ने इशारे से एक अन्य सेविका को अंदर बुलाया और मेनका के कान में कुछ कहने को कहा शायद भोग की इच्छा ज़ाहिर की लेकिन मेनका ने हाँ तो नहीं कहा परंतु ना भी नहीं कहा पर वो कष्ट से निजात चाहने की बात कहने लगी जो बाबा ने मान लिया अब क्या था । बाबा उस फूल के दल में बैठकर मरकंद का रसास्वादन करना चाहते थे । जो उनकी मनोदशानुकूल ही हुआ । और फिर इसी तरह कई हफ़्ते बीत गये परन्तु कोई भी लाभ न होने की बात मेनका ने कही । लेकिन बाबा तो डूब चुके थे । अन्ततोगत्वा मेनका
ने इन्द्र देव को संदेश किया कि अब क्या किया जाय ।
इन्द्र देव व्यस्त थे संदेश आया -I'm busy right now , । थोड़ी देर में इन्द्र देव का संदेश आया -हाँ देवी बोलो ।
मेनका ने अपनी कहानी बता दी ।
इन्द्र देव का संदेश आया - देवी और कोई चारा नहीं है पुलिस में रपट लिखा लो ।
मेनका - ठीक है प्रभु ।
इन्द्र देव की बात मान मेनका ने पुलिस में रपट लिखाने की सोची । पुलिस थाने जाकर पुलिस वाले से बोली भाई मुझे रपट लिखवानी है । पहले उस पुलिस वाले ने पूरा माजरा समझा और मेनका के बोलने के बीच में ही बोल पड़ा कपड़े ऐसे पहनेगी तो रेप भी होगा और न जाने क्या - क्या ?
अब जो हुआ सो हुआ घर को निकल ले बाबा को पता चला तो प्राण भी गंवाने पडंगे ।
मेनका ने पुनः फ़ोन घुमाया इन्द्रदेव को और पूरी बात बताई ।
इन्द्रदेव - देवी DIG के पास रपट लिखाओ ।
मनेका - ठीक है प्रभु ।।
डीआईजी के पास पहुँची और मिलने की आज्ञा पाकर डीआईजी से मिली ।
मेनका - साहब नमस्ते ।
डीआईजी - नमस्ते बोलो क्या हुआ ?
मेनका ने सारी बात बताई ।
डीआईजी सुनकर चौके ।
डीआईजी ने मेनका को महिला इन्सपेक्टर  के पास भेजा ।
मेनका ने पूरा बाकिया कहा ।
महिला इन्सपेक्टर  ने पहले तो समझाया कि अब जो हुआ सो हुआ । तुम उस बाबा की शिकायत कर के क्यों समस्या मोल लेती हो !
लेकिन मेनका नहीं मानी तो ।
महिला इन्सपेक्टर  ने कहा सही है , लेकिन इससे पहले कि तुम केश करो उससे पहले तुम्हारा मेडिकल चैक अप होगा और अगर रेप की पुष्टि होती है तो ही कुछ हो पाएगा ।
ठीक है यह कहते हुए मेनका ने सिर हिलाया ।
एफआईआर लिखी गई ।
अब एक खैराती अस्पताल में मेनका का मेडिकल चेक अप होने के लिए ले गये । वहाँ भी काफ़ी मसक्कत के बाद एक पुरुष चिकित्सक मिला
  । मेनका की जागरूकता के कारण महिला चिकित्सक को आना ही पड़ा । लेकिन इस में भी बबाल हुआ क्योंकि पुरुष चिकित्सक की दलील थी कि वह यह काम पिछले बीस साल से कर रहा है अभी तक किसी को कोई परेशानी नहीं हुई एक अकेली तुम हो जिसकी इज़्ज़त भी नहीं रही फिर भी इज़्ज़त की बात करती है । कई लोग काना फूसी करने लगे । उस चिकित्सा कक्ष में लोगों का जमावडा लग गया । कई लोग चरित्र पर अंगुली उठाने लगे और कई बदचलन और कई अपनी राय और गई अपनत्व दर्शाने की कोशिश कर रहे थे । मेडिकल चेक अप हुआ उस में भी मेनका को पुनः शोषण सा महसूस किया । आख़िर कार मेडिकल के रिपोर्ट आई जिस में रेप की पुष्टि हुई । अब भी बाबा जी को पुलिस नहीं पकड़ पाई थी । मेनका की रेप की खबर पूरे देश में फैल गई । कई समाचार एजेंशीज ने पूरे दिन यही खबर दिखा कर टीआरपी भी बटोरी कई न्यूज चैनलों ने मेनका का लाइव साक्षात्कार किया उसकी एक झलक -
मेनका न्यूज रूम में पहुँची ।
मेनका को बैठने के लिए एक कुर्सी दी गई । मेनका के मुख में नकाब था ।
रिपोटर ने प्रश्न पूछने आरंभ किये।
रिपोटर - तुम्हारे साथ जो ये घिनोंनी हरकत हुई उसका ज़िम्मेदार कौन है ?
मेनका - कुछ देर चुप रही और फिर बोली आप सब ।
रिपोटर - आप का रेप पहली बार कब हुआ और अब तक कितनी बार हो चुका है ?
मेनका कुछ नहीं बोली ।
रिपोटर - आपको जबाब तो देना ही होगा ।
मेनका ने सिर हिलाकर हाँ में उत्तर दिया ।
रिपोटर - तुम अब कैसा महसूस कर रही हो तुमको सारा देश देख रहा है ?
मेनका कुछ ना बोलकर बस रोने लग गई ।
बस इस तरह के साक्षात्कार की होड सी लग गई न्यूज चैनलों में ।बात सरकार तक पहुंची । विपक्षी धरने पर बैठ न्याय चाहने के लिए बाबा को बन्द करो और सत्ताधारी पार्टी का एजेंट कहने में भी नहीं चूक रहे थे । सत्ताधारी पार्टी भी अरोप - प्रत्यारोप के अलावा कुछ करने को राज़ी नहीं था । होते करते खबर पूरे विश्व में फैल गई । अब सत्ताधारी पार्टी को जबाब भी नहीं दे पा रही थी । अन्ततोगत्वा बाबा को पुलिस ने शान ए शौकत से गिरफतार किया ।
होते करते तीन माह बीत गये । और अब यह मामल ठंडा हो गया था और मेनका दरदर फटकने को मजबूर थी उसने इंशाफ के लिए हर दरवाजा खटखटाया पर हर तरफ़ से हार ही मिली एक बार तो बाबा के अंध भक्तों ने पथराव तक भी किया । मेनका भी अब थक चुकी थी वह सब कुछ छोड इन्द्र लोक चली गई ।

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