अनोखी दुनियां है ... अनोखे लोग हैं इस दुनियां के ।क्या कहूँ कुछ व्यथित हो उठता हूँ लोगों को देख कर ,सुन कर , पढ़ कर बस इसी लिए लिखता हूँ ....
आजकल व्हाट्सऐप, फेसबुक,ट्वीटर इत्यादि में भी लोगों ने समुदाय बने हुए हैं या यूँ कहें कि कैटेग्री बनी है । और कुछ तो और भी विचित्र होते हैं उनका काम या तो किसी लड़की को sms करना होता है या उन की तस्वीरों में आसक्ति पूर्ण टिप्पणी उन की उम्र देख कई बार आश्चर्य चकित भी होता हूँ जो अपनी पुत्री सामान कन्याओं में कॉमेंट करते हैं आसक्ति पूर्ण ...धन्य हो ऐसी जवानी ।
कुछ का मकसद केवल धर्म विरोधी गति विधि करना होता है जैसे आज कल पूरा का पूरा फेसबुक भरा पड़ा था याकूब की फाँसी से कई पक्ष में बोल रहे थे कई विपक्ष में .... और आज से दो - तीन दिन पहले लोगों की श्रद्धा कलाम साहब के चरित्र और कलाम साहब के जीवन में थी ।
एक अंधी दौर में दौड़ते हैं आज कल लोग ..बस ना मंजिल का पता है ना रास्तों का बस चलते चलो ...विशेष कर सोसल नेट्वर्किंग साइट्स में ।
कई लोग अपनी मानसिकता का प्रदर्शन यहाँ पर भी कर ही देते हैं कई रोज पहले किसी व्यक्ति ने दीपिका पाडुकोण के स्त्री के शारीरिक बनावट में टिप्पणी की थी ।
हम लोग किस मानसिकता से गुजर रहे हैं नहीं जनता ना ही जानना चाहता हूँ ... । लेकिन स्त्री को कभी भी भोग्य नहीं समझना चाहिए । इन लोगों के कॉमेंट पढ़ पढ़ कर मुझे इस मर्द जात से ही नफरत हो रही है कि हम लोग करना क्या चाहते हैं ?
स्त्री भी हमारी ही तरह है उसे भी जीने दो जैसे जीना चाहे ....।
आज सुबह एक मैंने जब फेसबुक खोल तो एक पोस्ट के नीचे अर्ध नग्न स्त्री की तस्वीर लगा कर किसी राष्ट्रिय हिन्दू टाइप के पेज ने पोस्ट किया था पहले लाइन को देख में प्रसन्नचित हुआ लिखा था ----
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ।
अर्थ हुआ कि ... जहाँ नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं ।
मैंने सोचा कि अच्छा पोस्ट है पढता हूँ ।
पढता गया जिस महान पुरुष ने वो पोस्ट लिखा था उस से अंत में निष्कर्ष निकाला की बलात्कार के जिम्मेदार स्त्रियाँ हैं ।
तो भाई तुम ये क्यों कहते हो कि.....यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता । उनको नहीं चाहिए ये कि कोई उन की पूजा करे बस उनको चाहिए कि वो चाहे नग्न भी क्यों ना हो हमारे भाव वही रहे बस । मुझे तो कभी भी नहीं महसूस हुआ कि छोटे कपडे पहनने में कोई दिक्कत है और मैं सोचता भी नहीं ।ना जाने कई लोगों को उनके जीन्स पहनने में दिक्कत होती है ...पर ना जाने क्यों ??
मतलब हम जानवरों से भी गए गुजरे हैं ...।
और कहते हैं हम 21 वीं शदी के मानव हैं ।
क्या खाक मानव हो .....?
चलो ये छोडो लेकिन कई लोग तो सोसल नेट्वर्किंग साइट्स में भी लड़कियों को नहीं छोड़ते वो वहाँ पर भी सेक्स की इच्छा ज़ाहिर करते हैं इस का एक वक्तव्य मेरे पास आया था इसी लिए कह रहा हूँ ...
कुछ मनचले लौंडे जो चेहरे की किताब (facebook ) में भी लड़कियों का पीछा नहीं छोड़ते हैं ।
एक मेरी बचपन की दोस्त है उस ने कहा कि चंदर एक लड़का मुझको कितनी दिनों से गंदे-गंदे प्रकार के प्रपोज़ल भेज रहा है क्यों करूँ ?
मैंने साधारण शब्दों में कहा कि ब्लॉक कर दो ।
तो वो बोली इस से क्या होगा , वो किसी और लड़की को परेसान करेगा ।
फिर मैंने कहा कि a/c का गुप्त कोड और नाम दो ., जो उस ने मुझे दे दिया ।
मैंने देखा वाकई इतने आपत्तिजनक इ- पत्र थे कि मैं गुस्से से लाल पीला हो गया । मैं लड़का हूँ मुझे उस के ई - पत्र देख इतना गुस्सा आया तो उस लड़की को कैसा लगता होगा ? क्या तुम्हारी बहन माँ या पत्नी को कोई इस तरह के आपत्तिजनक ई - पत्र भेजेगा तो तुम सहन कर लोगे ??
मैंने पहले तो उसको समझाने की कोशिश की परन्तु वो समझने का नाम नहीं ले रहा था ।
जब थोड़ा धमकाया तब समझ आया ।
कई लोग कहते हैं कि गलती लड़की की है भाई अगर आप उस लड़की को देखे बिना फेसबुक में ही में ऐसी बात कर रहे हो ? तो सच में तो ना जाने क्या ?
कहते हैं हम मनुष्य हैं ....ही ही ही ही तुम से अच्छा तो जानवर है मनुष्य आये बड़े ।
भाई बात करो लेकिन एक मनुष्य की तरह ...
अगर वो बात नहीं करना चाहे मत करो ...
मुझे कभी कभी लगता है कि क्या मैं मनुष्यों के बीच रहता हूँ या कहीं और ??
खुद विचार करो ।।
तो आप खुद सोचिये कि इस में लड़की की क्या गलती है । बस इतनी कि वो लड़की है । हम में इतनी भी सभ्यता नहीं कि हम एक स्त्री से कैसे बत करें ??
जो भी हो लेकिन मन विचलित होता है मुझे नहीं रहना है ऐसे समाज में जहाँ माँ की इज्जत नहीं होती है जहाँ एक बहन की इज्जत नहीं होती है ... जहाँ एक लड़का एक लड़की की दोस्ती को गलत समझते हैं ।
भाई हम इंशान हैं हमें शूकून से जीने दो ...बस मन साफ रखो ।
मैं कई बार व्यथित होकर फेसबुक में समाज से हट कर बात लिखता हूँ तो लोग मुझे अभद्र भाषा से कोसने से भी बाज नहीं आते हैं , परन्तु मैं अपना काम करता रहूँगा चाहे कुछ भी हो ।
कहने को बहुत कुछ है बस शेष अग्रिम अन्विति में ..
चंद्र प्रकाश बहुगुना/ पंकज / माणिक्य
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