मन मुझी को कचोड़ता है क्योंकि हर तरफ विषंगतियों का जाल फैला दिखता है । समाज के बहुत सारे प्रश्न मन में उठते हैं इस तरह उमड़ते हैं कि जैसे कड़क ज्येष्ठ के धूप के बाद बादल घुमड़े हों , और क्षण भर में ही पसीने से तर बतर बदन थर -थर कापने लगे ।
हर किसी व्यक्ति को देख कर दिमाग़ और हृदय में कई प्रश्न उठते हैं । मैं तो कहता हूँ उठने भी चाहिए मानव जो ठहरे ।।
कई प्रश्न ऐसे उठते हैं जो हैं तो गंदे नाले से लेकिन उस में कहीं ना कहीं पूँजीपति वर्ग सामिल है और लोग सामने उसी कीचड़ या गन्दगी से खुद का दामन बचाते फिरते हैं । लेकिन कभी कोई यह नहीं समझता कि उसी कीचड़ में कमल भी उग सकता है और कीचड़ के बीच बेदाग भी रहा जा सकता है । आज मुझे कहीं ना कहीं समाज भी कीचड़ बनता दिख रहा है और मैंने जो ऊपर प्रस्तावना लिखने की कोशिश की उस से स्पष्ट होता है कि समाज कहीं ना कहीं विसंगतियों में ही पल रहा है ।
पुनः समाज की बात छोड़कर मन में उठते विचारों में आते हैं । कई बार खुद से ही प्रश्न पूछता हूँ और कई बार लोगों की बातों की पुष्टि करने की कोशिश करता हूँ । और कई बार तो मन में ऐसे ख्याल आते हैं जो बेशक अश्लील हैं । लेकिन मेरी उत्सुकता उन की सत्यता से अवगत होने की होती है । जिसमें प्रमुख ये कि वैश्या क्या है ? आप जैसे पढ़े लिखों की भाषा में ----
What is Call Girl ?
आप को लग रहा होगा यार इस चंदर को क्या हो गया धर्म की बात करता था आज तो बिलकुल अधर्मी
हो गया ।
भाई ये धर्म की बात मुझ से मत करो ।
ये जो वैश्य बनती हैं उसका कारण तुम जैसे धार्मिक लोग ही हो और कई वैश्य बनती भी हमारी गन्दी सोच से ही हैं ।
भाई एक सर्वे करा के देख लो कि कौन अपने सम्मान को बेचना चाहता था लेकिन इस पेट ने और कुछ मजबूरियों ने उस लड़की को इस रास्ते चलने के लिये मजबूर किया होगा ।
जो भी हो मैं विषय पर आता हूँ ..
कि कॉल गर्ल क्या है ?
पहले कुछ तथ्य पढ़िए पुनः इस शब्द का अर्थ समझंगे ...
समाज में आज वैश्यवृत्ति तो देखी जा रही है , लेकिन इस का सत्य अर्थ भी अवगत होना जरुरी है । अगर किसी भी व्यक्ति से पूछा जाय कि वैश्य क्या है तो उन के मन में एक ही विचार आता है कि जो योनिभिचार करती हैं या यूँ कहें की जो स्त्री एक पुरुष से ज्यादा पुरुषों के साथ सहवास का सुख प्राप्त करती हैं वो वैश्य है ।
तो मैं कहता हूँ कि अगर पुरुष लिंगाभिचार करता है तो वो क्या कहलायेगा ?
उन को उतनी बदनामी नहीं झेलनी पड़ती जितना की वेश्याओं को झेलनी पड़ती है । वैश्य मेरे हिसाब से कोई बुरा काम नहीं है आप त्रेता आदि युगों में देखेंगे तो राजा के दरवार में और इंद्र के दरवार में इन को सम्मानित किया जाता था ।
लेकिन स्तिथि आज दयनीय है । परन्तु मैं द्रविभूत हो उठता हूँ उन के दुःख को सुन कर क्योंकि वो भी शायद इस दुनियां में कुछ सपने लेकर आये होंगे नहीं जनता परन्तु उन के वो सपने आँखों में ही रह जाते होंगे ।।
भगवान ना करे लेकिन आप उस दलदल में फंस गए तो क्या होगा ? शायद जिंदगी नर्क सी यार फिर कुछ ख्याल उन लोगों का भी करो जो इस नर्क में कितने वर्षों से हैं । मैं इतना सक्षम तो नहीं कि उन की हँसती खेलती जिंदगी लौट सकूँ लेकिन बस भगवान से दुआ कर सकता हूँ बस । लेकिन कभी ठन्डे दिमाग से सोचिये कि क्या है ये सब कुछ ??
चंद्रप्रकाश बहुगुणा /पंकज / माणिक्य
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