सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

चल शादी कर लेते हैं

उक्त पंक्तियों में ''लडकपन का प्यार दर्शाने की कोशिश की है क्योंकि इस अपरिपक्व स्थिति में इशां ये नहीं समझता कि क्या कर रहा हूं । कई बार इसके दुष्परिणाम भी देखे गये हैं ।और इस कविता की एक खूबी से है कि जो जो तारीफ़ के पुल बाँधे गये हैं लड़का वो तो बोल ही रहा है किन्तु अन्य पंक्तियाँ समय बोलता उस अपरिपक्व से बुलवा देती हैं।  इसी लिए हर क्षण सोच समझ कर व्यतीत करें और ना ही किसी से वादा करें क्योंकि अगर आप किसी से कुछ वादा करते हैं परिस्थिति के अनुसार नहीं निभा पाये तो आप या तो बेवफा कहे जाओगे या धोखे बाज़ तो इससे अच्छा है कि किसी से वादा मत करो । आप जब तक सक्षम नहीं हो तब तो बिलकुल भी नहीं --

      ।। चल शादी कर लेते हैं ।।

मैं तुमसे प्यार जो करता हूं ,
   चल शादी कर लेते हैं ।
दिल में ख्वाबों के महल बनाएँगे ,
But sorry one single room नहीं बना पाऊँगा ।
तू जमाने से क्यों डरती है ?,
मैं तुझे भगा ले जाऊँगा ।
चल तुझे पलकों की सेज में सुलाऊँगा ,
But sorry one Bed नहीं बना पाऊँगा ।
हम एक हैं तू अमीर मैं ग़रीब हूं ,
मेरी झोपडी तुम्हारे न जाने कितने Flat हैं ।
मैं तुम्हें जहाँ से ज़्यादा प्यार करूँगा ,
पर एक Time का Food नहीं दे पाऊँगा ।
क्यों डरती है घरवालों से सामने ही भगा ले जाऊँगा ,
तुमको होठों से गुनगुनाऊँगा ।
पर Sorry ये नाज ए नखरे नहीं उठा पाऊँगा ।।
अगर रिश्ता मंज़ूर है तो हाँ कहना ,
मैं तुमको ख़ुश रखूँगा ।
जानते तो तुम भी हो कितनी ख़ुशी होती है शादी के बाद ,
पर मैं गैरंटी नहीं ले पाऊँगा ।।

चन्द्र प्रकाश बहुगुना " चन्दू "

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रस्मे-वफा के चलते हम एक नहीं हो सकते

इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते । राह जोहते दिन में , रातों को यादों में जगते । तुम्हारे पापा से जो बात की, उत्तर में वो भी ना बोले । तुम्हारी मम्मी जी तो मुझको निठल्ला , नाकारा क्या - क्या कहते । जग वाले तो हमको यों न मिलने देगे मुझको नीच तुमको उच्च जो कहते । सब की नज़रों में जीरो हूं प्रेयसी , तुम ही जो हीरो कहते । हर पल लबों पर नाम तुम्हारा , ज़्यादातर पक्ति लिखते । मैंने तो निर्णय किया है प्रेयसी , हम प्यार तुम्ही से करते । ये खत लिखा है तुमको रोया हूं लिखते - लिखते । इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते ।

वर्ण पिरामिड

तू मुझे जग से प्यारा ही है ना छोड़ के जा मेरी पूजा भी तू माँ जमीं में देवता ।। मैं बिन तेरे हूँ अधूरा सा गम में मारा लगता क्यों सारा बनता हूँ .....बेचारा ।। चंद्रप्रकाश बहुगुणा /म...

।। मैं और मेरा भोला पन ।।

लोग चांद तक पहुंच गये .....       मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं....                              लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर  ....                  मैं अभी भी हालातों के उख...