उक्त पंक्तियों में ''लडकपन का प्यार दर्शाने की कोशिश की है क्योंकि इस अपरिपक्व स्थिति में इशां ये नहीं समझता कि क्या कर रहा हूं । कई बार इसके दुष्परिणाम भी देखे गये हैं ।और इस कविता की एक खूबी से है कि जो जो तारीफ़ के पुल बाँधे गये हैं लड़का वो तो बोल ही रहा है किन्तु अन्य पंक्तियाँ समय बोलता उस अपरिपक्व से बुलवा देती हैं। इसी लिए हर क्षण सोच समझ कर व्यतीत करें और ना ही किसी से वादा करें क्योंकि अगर आप किसी से कुछ वादा करते हैं परिस्थिति के अनुसार नहीं निभा पाये तो आप या तो बेवफा कहे जाओगे या धोखे बाज़ तो इससे अच्छा है कि किसी से वादा मत करो । आप जब तक सक्षम नहीं हो तब तो बिलकुल भी नहीं --
।। चल शादी कर लेते हैं ।।
मैं तुमसे प्यार जो करता हूं ,
चल शादी कर लेते हैं ।
दिल में ख्वाबों के महल बनाएँगे ,
But sorry one single room नहीं बना पाऊँगा ।
तू जमाने से क्यों डरती है ?,
मैं तुझे भगा ले जाऊँगा ।
चल तुझे पलकों की सेज में सुलाऊँगा ,
But sorry one Bed नहीं बना पाऊँगा ।
हम एक हैं तू अमीर मैं ग़रीब हूं ,
मेरी झोपडी तुम्हारे न जाने कितने Flat हैं ।
मैं तुम्हें जहाँ से ज़्यादा प्यार करूँगा ,
पर एक Time का Food नहीं दे पाऊँगा ।
क्यों डरती है घरवालों से सामने ही भगा ले जाऊँगा ,
तुमको होठों से गुनगुनाऊँगा ।
पर Sorry ये नाज ए नखरे नहीं उठा पाऊँगा ।।
अगर रिश्ता मंज़ूर है तो हाँ कहना ,
मैं तुमको ख़ुश रखूँगा ।
जानते तो तुम भी हो कितनी ख़ुशी होती है शादी के बाद ,
पर मैं गैरंटी नहीं ले पाऊँगा ।।
चन्द्र प्रकाश बहुगुना " चन्दू "
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें