।। शायरी ।।
बस एक तेरे बिन सूना लागे ।।
न रात-रात सोए न दिन हम जागे ,
तेरे बिन ना ये जीया लागे ।।
आँखें सूखी-सूखी दिल गमों से भरने लगा ,
तेरी यादों की बाराती बन सजने लगे ।।
अब इस गली शायद ही चाँद निगले ,
तुम बिन तो चाँद भी फीका सा लागे ।।
लोग चांद तक पहुंच गये ..... मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं.... लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर .... मैं अभी भी हालातों के उख...
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