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अहर्निशः प्रतीक्षेsहं तव कृते ..

अहर्निशः प्रतीक्षेsहं तव कृते .. न जातु आगच्छसि मे निकटे ।1। किम् अहमेव प्रेमं करोमि वा? तव सहस्र प्रतिज्ञा भूत्वा न वा ? ।2। अधुना त्वमेव विस्मरसि किमर्थम मे किन्तु मयि त्वम...

।। बिछुड़न ।।

मिलना भी जरूरी था . बिछुड़ना भी जरूरी था मैंने प्यार के मायने समझने थे... तुम्हारे लिए ऐश्वर्य जरुरी था .। ©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य

महामिलन

उर में एक स्मृतियों का महल बनाया ... एक सुन्दर नगर और स्वप्नमय जीवन बसाया... स्वयं तो छोड़ गए उस महल को ... फिर मुझ में महामिलन क्यों जगाया ।। ©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य

मुक्तक

चलो नई दुनियां बसाते हैं .... सपनों के बाराती सजाते हैं ... चलो यहाँ से उम्र भर के लिए ... चलो तुम को जीवन का सार बताते हैं ,। ©®चंद्र प्रकाश बहुगुना/पंकज/माणिक्य

हिन्दी भारत माँ के भाल की बिन्दी ...

कुमाऊनी भाषा मेरी जान छ ... और हिन्दी मेरी शान छ ... तुम तें इंग्लिश में खिटर-पिटर कर छा ... मैं कें त अपणी भाषा ज्ञान छ ...। ©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य

हिन्दी भारत माँ के भाल में बिन्दी

हिन्दी दिवस पर कविताएँ इंग्लिश में गाई जाती हैं ... दोस्तों को शुभकामनाएँ रोमन में दी जाती हैं ... दिन एक भी हम हिन्दी शुद्ध नहीं बोल सकते हैं ... हम अपने ही देश में कई जगह हिंदी नही...

मिलने आ नहीं सकती ..मुक्तक ।।

है खुद पानी में ...        नदी भी रो नहीं सकती ... है आई याद तेरी ...         ये ऑंखें सो नहीं सकती ... सुना है उस को भी ...             शुकून नहीं है बिन मेरे ... वो फिर भी मिलने ..              मुझसे ...

प्यार ।। मुक्तक

प्यार में मिलना जरुरी था .. और बिछुड़ना भी जरूरी था ... कैसे मैं खुद को भूल जाता ... तुम भी जरुरी थी मैं भी जरुरी था ... चंद्र प्रकाश बहुगुणा / माणिक्य / पंकज

।। प्यार ।। मुक्तक

दिल मेरा तोड़ कर तुम भी क्या पाओगे , मैं तो दूसरी पटा लूंगा तुम किधर जाओगे , मैं तुम से अब भी कहता हूँ सुन लो... फिर तुम याद करती फिरोगी कि तुम कब आओगे ।। ©®चंद्रप्रकाश बहुगुना/ पंकज /...

माँ

बच्चों के रोने में माँ भी रो देती है .. बच्चे बड़े होते हैं तो बस माँ रोती है सब इस धरा में स्वार्थ के रिश्ते हैं ... बस एक माँ ही धरा में देवता होती है ।  ©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज...

।। जन्मदिन की शुभकामनाएं ।।

                       ।।1।। हर्ष,उत्कर्षमय जीवन .. जीवन हो चंदनवन उपवन ... लाखों दुआएं हो साथ तुम्हारी ... नवचेतनमय मधुमास हो जीवन ...।।                      ।। 2 ।। नवदिवस नवचेतन ला...

मुक्तक || दर्द ||

दोस्तों जिन्दगी एक बार पाई है ... वो वादा कर के भी मिलने नहीं आई है ... मैं मनाता रहा उसे ताउम्र जाम-ए-प्यार के लिए .. वो आज मेरे कब्र में फूल लाई है ...।। (सुना है आज मेरे जनाजे में वो भी आई ...

।। तुम ।।

रंगे ग़ुलाब सी तुम ... सपनों का सरताज़ सी तुम ... मैं यों ही सो जाना चाहता हूँ .. जब से सपनों में आई हो तुम .... ©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य

।। नन्ही चिड़ियाँ का लक्ष्य ।।

नन्हीं चिड़ियाँ .       चढ़ती जीवन की सीढ़ियां , पर फैलती बार-बार ...       कोशिश करती कई बार , माँ पर पकड़ कर उड़ना सिखाती ...         गिर कर फिर उठना सिखाती , नन्हें परों को वो सहलाती ..      ...

मुक्तक

                   ।।  1 ।। मरना और जीना मेरे हाथ में नहीं ... तुम थी अपनी पर साथ में नहीं                       मरने के बहाने लाख हैं मगर ..                       जीने का एक ... बहाना नहीं ।।                               ।।   2  ।। तुम कहती थी हमारा प्यार अनोखा होगा .. दुनियाँ में हीर - रांझा से भी सच्चा होगा .. मैं तो तुम को हम समझ बैठा था .... क्या खबर थी प्रेम डोर इतना कच्चा होगा । ©®चंद्रप्रकाश बहुगुना/ पंकज/ माणिक्य

कृष्ण जी

हर डाली हर पत्ते कण-कण में जनों के उर कंठ मन-मन में मुझे तू ढूढ़ता मन्दिर में मैं ही तो हूँ इस सुबह -रात्रि में । कृष्ण रहते अभी भी भक्त उर में .. कहीं गुरु कहीं माँ-बाप में ... तुम्ही म...

मुक्तक

नहीं नहीं तुम सही हो । और तुम वही हो । मैं फ़लक में चाँद ढूढ़ता हूँ ...। तुम चाँद वही हो ।। चंद्र प्रकाश बहुगुना / माणिक्य / पंकज

।। दिल वार आया हूँ । । मुक्तक ।।

कोई बस्ती बदल आया , कोई मकान बदल आया ... उसने एक बार क्या माँगा मैं दिल वार आया  ., मुझे इन अल्लाह और भगवान में मत बाटो .. मैंने इन्सान का दर्द देखा ..मैं इन्सान बन आया .... चंद्र प्रकाश बह...

अधिक आसक्ति मनुष्य के लिए विष है ..

अधिक आसक्ति मनुष्य के लिए विष है ...ये पंक्ति लिखते लिखते मेरी कलम रुक गई ...फिर फेसबुक का खाता खोल कर कुछ मनोरंजन करने का मन किया ... कुछ समय से मैं भी फेसबुक पर सक्रिय हूँ किंतु यह...

  ।। सत्ताधारी सास ।।

    ।। सत्ताधारी सास ।। नाम सुन कर लग रहा होगा कि इस टॉपिक में भी लिखने के लिए कुछ बचा है क्या ? सब जानते हैं इस शब्द के मर्म को , चाहे वो भारतीय पुरुष हो या महिला । इस शब्द के मर्म क...