लोग चांद तक पहुंच गये ..... मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं.... लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर .... मैं अभी भी हालातों के उख...
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।
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