।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।
हर डाली हर पत्ते कण-कण में
जनों के उर कंठ मन-मन में
मुझे तू ढूढ़ता मन्दिर में
मैं ही तो हूँ इस सुबह -रात्रि में ।
कृष्ण रहते अभी भी भक्त उर में ..
कहीं गुरु कहीं माँ-बाप में ...
तुम्ही में हूँ तुम्हारे रोम में ..
फिर क्यों ढूढ़ता तू पत्थर में ।
©चंद्रप्रकाश/पंकज/माणिक्य बहुगुना
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