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अहर्निशः प्रतीक्षेsहं तव कृते ..

अहर्निशः प्रतीक्षेsहं तव कृते ..
न जातु आगच्छसि मे निकटे ।1।
किम् अहमेव प्रेमं करोमि वा?
तव सहस्र प्रतिज्ञा भूत्वा न वा ? ।2।
अधुना त्वमेव विस्मरसि किमर्थम मे
किन्तु मयि त्वम् निवसति हृदये ।3।
केशाः तस्यां सुन्दर छटा ..
प्रतियति यदृशी मेघःघटा ।4।
नेत्रनो अधितिष्ठति कामकला ..
भाषणि विलक्षण कला ..।5।
अधुना त्वदीयः अश्मा हृदयं ..
पूर्वं तव घनीभूत हिमम् .।6।
गजगामिनि तव उन्मादीमे ..
तत्क्षणं तव विस्मर्य मे ..।7।
मन्युना प्रतियति पाटल कलिका ..
च यदा हसति तव आदीनाः ।8।
अन्ते नेति - नेति वद मे ...
तव मयि कृते सर्वश्वमे .।9।
अहर्निशं प्रतीक्षेsहं तव कृते ..
अधिक्षिप्ति त्वं मयि न वा ??।10।

©®आचार्य चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य

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