दिल मेरा तोड़ कर तुम भी क्या पाओगे ,
मैं तो दूसरी पटा लूंगा तुम किधर जाओगे ,
मैं तुम से अब भी कहता हूँ सुन लो...
फिर तुम याद करती फिरोगी कि तुम कब आओगे ।।
©®चंद्रप्रकाश बहुगुना/ पंकज / माणिक्य
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।
दिल मेरा तोड़ कर तुम भी क्या पाओगे ,
मैं तो दूसरी पटा लूंगा तुम किधर जाओगे ,
मैं तुम से अब भी कहता हूँ सुन लो...
फिर तुम याद करती फिरोगी कि तुम कब आओगे ।।
©®चंद्रप्रकाश बहुगुना/ पंकज / माणिक्य
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