है खुद पानी में ...
नदी भी रो नहीं सकती ...
है आई याद तेरी ...
ये ऑंखें सो नहीं सकती ...
सुना है उस को भी ...
शुकून नहीं है बिन मेरे ...
वो फिर भी मिलने ..
मुझसे आ नहीं सकती ।।
©®चंद्र प्रकाश बहुगुणा / माणिक्य / पंकज
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