।। 1 ।।
मरना और जीना मेरे हाथ में नहीं ...
तुम थी अपनी पर साथ में नहीं मरने के बहाने लाख हैं मगर .. जीने का एक ... बहाना नहीं ।।
।। 2 ।।
तुम कहती थी हमारा प्यार अनोखा होगा ..
दुनियाँ में हीर - रांझा से भी सच्चा होगा ..
मैं तो तुम को हम समझ बैठा था ....
क्या खबर थी प्रेम डोर इतना कच्चा होगा ।
©®चंद्रप्रकाश बहुगुना/ पंकज/ माणिक्य
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