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मुक्तक || दर्द ||

दोस्तों जिन्दगी एक बार पाई है ...
वो वादा कर के भी मिलने नहीं आई है ...
मैं मनाता रहा उसे ताउम्र जाम-ए-प्यार के लिए ..
वो आज मेरे कब्र में फूल लाई है ...।।
(सुना है आज मेरे जनाजे में वो भी आई है )
©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य

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