उर में एक स्मृतियों का महल बनाया ...
एक सुन्दर नगर और स्वप्नमय जीवन बसाया...
स्वयं तो छोड़ गए उस महल को ...
फिर मुझ में महामिलन क्यों जगाया ।।
©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।
उर में एक स्मृतियों का महल बनाया ...
एक सुन्दर नगर और स्वप्नमय जीवन बसाया...
स्वयं तो छोड़ गए उस महल को ...
फिर मुझ में महामिलन क्यों जगाया ।।
©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य
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