बच्चों के रोने में माँ भी रो देती है ..
बच्चे बड़े होते हैं तो बस माँ रोती है
सब इस धरा में स्वार्थ के रिश्ते हैं ...
बस एक माँ ही धरा में देवता होती है ।
©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।
बच्चों के रोने में माँ भी रो देती है ..
बच्चे बड़े होते हैं तो बस माँ रोती है
सब इस धरा में स्वार्थ के रिश्ते हैं ...
बस एक माँ ही धरा में देवता होती है ।
©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य
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