हिन्दी दिवस पर कविताएँ इंग्लिश में गाई जाती हैं ...
दोस्तों को शुभकामनाएँ रोमन में दी जाती हैं ...
दिन एक भी हम हिन्दी शुद्ध नहीं बोल सकते हैं ...
हम अपने ही देश में कई जगह हिंदी नहीं बोल सकते हैं ...,
वाक्य भी हम से बिन इंग्लिश नहीं बोले जाते हैं
यहाँ हिन्दी कवि भी मंच पर इंग्लिश में दो चार गाली दे आते हैं ....
जो कहते हैं हमारी हिन्दी नहीं महान है ...
नहीं पता मुझे ...जो बोलता उसे हिंदी का कुछ ज्ञान है ...
जो रोमन बोल-बोल कर खुद को सभ्य समझते हैं ...
नोटों के बण्डल को जो जीवन का सार समझते हैं ..,
उनको नहीं पता निज भाषा का गौरव कितना विस्तृत फैला है ...
निज धरा में होता अपमान ..फिर क्यों विश्व में सम्मानित फैला है .,
रंग बिरंगी कविताओं से सजी पुस्तकें कुछ फुटकर में बिकती ...
रोमन का अश्लील साहित्य हम को
जीवन में करने को जँचता ...
हम उत्साह हीन कवि , धन देख भागते हैं ...
जो जान गया निज भाषा का गौरव ... वो सोया भाग्य जगते हैं.,
कुछ क्रन्तिकरी लोगों ने . इस भाषा के ख़ातिर बलिदान दिया ...
हम ने निज स्वार्थ के लिए ...उस बलिदान को जाया किया ...,
निज भाषा को गौरव से बोला जाय ..,
और हिंदी को देश के भाल में सजाई जाय ...।।
©®चंद्र प्रकाश बहुगुना /पंकज /माणिक्य
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