कोई बस्ती बदल आया , कोई मकान बदल आया ...
उसने एक बार क्या माँगा मैं दिल वार आया .,
मुझे इन अल्लाह और भगवान में मत बाटो ..
मैंने इन्सान का दर्द देखा ..मैं इन्सान बन आया ....
चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।
कोई बस्ती बदल आया , कोई मकान बदल आया ...
उसने एक बार क्या माँगा मैं दिल वार आया .,
मुझे इन अल्लाह और भगवान में मत बाटो ..
मैंने इन्सान का दर्द देखा ..मैं इन्सान बन आया ....
चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य
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