घनीभूत हृदय में चित्र तुम्हारा बन आया है ..
तभी पानी बन आँखों से आया है ...
और वो तपन अब भी ...
हर महामिलन में बाधा बन आया है ।
लोग चांद तक पहुंच गये ..... मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं.... लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर .... मैं अभी भी हालातों के उख...
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