घनीभूत हृदय में चित्र तुम्हारा बन आया है ..
तभी पानी बन आँखों से आया है ...
और वो तपन अब भी ...
हर महामिलन में बाधा बन आया है ।
।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें