आज कितने मतलबी हो गए लोग ...,
खुद के स्वार्थ के लिए जान ले रहें हैं लोग ..
जिन्दा रहते-रहते कांटे बोते हैं लोग ...
मर जाने पर पुष्पों की माला लेकर आते हैं लोग ।
सफलता चरण चूमे तो जलते हैं लोग ...
असफलता का मुहँ देखना पड़े तो जलते हैं लोग ...
प्यार में पड़ने पर पागल कहते हैं लोग ..
घ्रणा करने पर जानवर समझते हैं लोग ..।
जिंदगी मौज़ से काटने को बेइमानी कहते हैं लोग ...
धनहीन होने पर भिकारी कहते हैं लोग ...।
जिन्दा रहते - रहते याद नहीं करते लोग ...।
मारने के बाद श्रद्धांजली देने आते हैं लोग ..।
चंद्र प्रकाश बहुगुना /माणिक्य /पंकज
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