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रह-रह कर तुम्हारी याद आ जाती है

रह-रह कर तुम्हारी याद आ जाती है
हर बार तुम्हारी बात याद आ जाती है ।
जब तुमको नहीं प्यार था मुँझसे तो ...
क्यों मेरी सपनों में आ जाती हो ?
तुम्हारा क्या हूँ नहीं जनता मैं ...
फिर भी तुम्हारी याद आ जाती है.
ऐ चन्दर वो खुस रहे बस यही है ख़्वाब मेरा ...
उसी की खुसी में खुसी मेरी आ जाती है.

चंद्रप्रकाशबहुगुना/पंकज/माणिक्य

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