डान कानन घाम आ गो ...
उठ जा हो परुली ...
बिस्तरमें चहा ल्या रई ...
उठ जा हो परुली ...
चंद्र प्रकाश बहुगुना/माणिक्य / पंकज
लोग चांद तक पहुंच गये ..... मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं.... लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर .... मैं अभी भी हालातों के उख...
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