जिन्दगी हँसी होती ..अगर तुम साथ होते ...
आँखों में यों अश्क ना होते ..अगर तुम साथ देते ..
तुम अपनी ज़िद में ना होती ...मैं अपनी ज़िद में ना होता ...
ना हम यों मजबूर होते .. ना यों दूर होते ...
चंद्र प्रकाश बहुगुना /पंकज/माणिक्य
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।
जिन्दगी हँसी होती ..अगर तुम साथ होते ...
आँखों में यों अश्क ना होते ..अगर तुम साथ देते ..
तुम अपनी ज़िद में ना होती ...मैं अपनी ज़िद में ना होता ...
ना हम यों मजबूर होते .. ना यों दूर होते ...
चंद्र प्रकाश बहुगुना /पंकज/माणिक्य
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