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आतंकी

कश्मीर जो मेरी कल्पना में है । एक दहसद का राज्य जहाँ अभी भी आजादी नहीं है हिन्दुओं को बोलने की और मुस्लिमों को आतंकी हमलों देश को बर्बाद करने और सब्सिडी पर पूर्ण अधिकार है । कश्मीर ही क्या ? पूरे देश के हालात ऐसे हैं ।
भाई मैं मानवता की बात करता हूँ लेकिन कब तक ? लेकिन मेरे लिए मानवता सर्वोपरि होगा ।
मैं हर रोज उस स्वर्ग को गुंडागर्दी का अड्डा बनता देखता हूँ न्यूज में , अख़बारों में ।
कब तक मेरे देश के नौजवान आतंकवादी बनते रहेंगे ।
और कब तक Burhan Muzaffar Wani जैसे लोग देश को बर्बाद करते रहेंगे ।
मैं ये भी नहीं कहता कि देश को तोड़ने का काम केवल मुस्लमान करते हैं वो कई हिन्दू भी हैं लेकिन उनको सुनने वाला कौन है ...? हिंदुओं के पास अपना विवेक होता है ना कि एक फ़तवे को आँख मूद कर मान लें ।
और मुझे अचम्भा होता है लोग बिना सोचे समझे उसके पीछे पीछे चलते हैं और दूसरों को मारने तक में नहीं चूकते मैंने कभी कुरान पढ़ी नहीं लेकिन मुहम्मद साहब ने ये तो कहीं नहीं लिखा होगा कि दूसरों को मार कर जन्नत मिलेगी .. मैं किसी के धर्म की अवहेलना नहीं कर रहा हूँ ..। और ना ही मेरा ऐसा मन है । लोग कहते हैं कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता । लेकिन 90 % आतंकी मुस्लिम ही क्यों  ? मैं कलाम साहब जैसे लोगों की कद्र भी करता हूँ ..। लेकिन जो कश्मीर में हो रहा है वो देख कर मुझे गुस्सा भी आता है ..। मेरा ही तो नौजवान मर रहा है कहीं सैनिक के रूप में कहीं आतंकी के रूप में । लेकिन मेरे देश की ही तो हानि हो रही है और jnu के कुछ सब्सिडी पर पलने वाले आतंकियों को शहीद और शहीदों को बलात्कारी कहते हैं तब भी लोग चुप रहते हैं । राजनेता मिलने जाते हैं और कन्धा थपथपा कर आते हैं । और कहते हैं भाई तू यूँ ही हमारे लिए काम करता रह ...  । और पक्ष - प्रतिपक्ष केवल आपसी कमियाँ निकालने में लगा है .। किसे है देश की चिंता ? साहित्कार खुद चाटुकारिता में उतरे हैं । किसे है देश की चिंता ? आम इंसान टमाटर , प्याज और भाभी जी के लिए सौंदर्य वर्धक वस्तुएँ जुटाने में असमर्थ है ..। नेता मजे में हैं । और मर रहा है सैनिक , कश्मीरी । किसे चिंता है ..? फेसबुक में केवल हम लोग सलाह देते फिरते हैं बस .. लेकिन किसे है देश की चिंता ?
और आरक्षण सब के लिए अलग , कानून सब के लिए अलग , भाषा सब के लिए अलग ...। हमें बांटने का काम तो हमारी सरकारों ने ही कर रखा है ... । और कितने Burhan Muzaffar Wani जैसे लोगो पनप रहे हैं कश्मीर में कोई नहीं जानता ..। सरकारें कब तक चुप रहेंगी ? और कब तक हम मरते रहेंगे और नेताओं , अभिनेताओं , मल्यादि मजे में रहेंगे ? और देश के हालात कहाँ सुधरे हैं ..?
कहीं नहीं ।
हर रोज महिलाओं , बच्चियों के साथ हो रहे दुराचार अख़बारों की शान बन रही है ..  । और प्रेम और हवस के प्रेमी समाज को दर्शाया जाता है पेपर में । एसिड अटैक और न जाने क्या क्या ..?
कितने प्रकार के आतंकी पल रहे हैं इस देश में मैं भी नहीं जनता ।
केवल मारो मारो में मुस्लिम आगे हैं तो दुराचार , बलात्कार जैसी घटनाओं में हिन्दू और अन्य धर्मानुलम्बि भी पीछे नहीं हैं ...। बहन और भाई का रिश्ता तक धूमिल दीखता है ..। कौन पिता कौन पुत्री ? सब रिश्ते हवस तले दबे पड़े हैं । और औरत भी केवल भौतिक रूप से विकशित हुई है आज  । हम हर जगह से आतंकी बन रहे हैं । बस आतंकी ..।

माणिक्य बहुगुना

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रंगे ग़ुलाब सी तुम ... सपनों का सरताज़ सी तुम ... मैं यों ही सो जाना चाहता हूँ .. जब से सपनों में आई हो तुम .... ©®चंद्र प्रकाश बहुगुना / पंकज / माणिक्य