एक मुलाकात की आरजू थी , अब हर मुलाकात पहली सी लगती हैं एक दूसरे को देखते रहने पर भी देखते रहने का मन हर बार होता है , हर छुवन सिमेट रखी हैं मन मंदिर में , मैंने दबा रखे हैं अंतस में ...
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।