मैं मतवाला , वह मधुबाला ,
पीते हैं मधुप्याला ।
मैं मधुकर सा डोल रहा हूं ,
हर इक बस्ती हर इक सस्ती मधुशाला ।
वह मधुराक्षी पीला रही ,
मैं मयकश सा पी रहा हूं मधुप्याला ।
मैं मदहोशी में घूम रहा हूं ,
मैं महलों वाला भी आज बना हूं बस्तीवाला ।
आज नहीं मैं उस ठेके पे जाने वाला ,
आज नहीं हूं मैं वो धनवाला ।
इल्लत मेरा मुक़द्दर ही था ,
जो जी रहा हूं हर इक प्याला ।
लोग चांद तक पहुंच गये ..... मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं.... लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर .... मैं अभी भी हालातों के उख...
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