आँगन में जो छनकर आती
धूप थी वो सुनहरी ,
वो दीवारों पर परछाई पानी की
थी बनती ।
याद दिला जाती हैं यादें
मेरे ही बचपन की ....।
मेरे खेलने का जरिया था
पापा का वो कन्धा ,
मामा जिसका चाँद था
यारो में ही था वो अन्धा .....।
बचपन के कुछ सुखद क्षण याद आ गये और कुछ पक्तियां पंडित हरि ओम व्यास जी की भी आई याद,
पिता एक अहसास है जिसे हम लफ़्ज़ों में बया शायद ही कर सकते।
#Father_day मेरे लिए निश दिन है फिर भी कुछ मन में आया सो लिख दिया ।
आप सब को #Father_day / योग दिवस की शुभकामनाएँ ।
माँ बाबा की सेवा करें ,बडो का आदर करें ।
मस्त रहें योग करके चुस्त रहें ।
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