वैश्वीकरण की होड में ,
कहीं भारत पीछे न छूट जाय ।
विश्फोटकों बमों की होड में,
कहीं मानव अस्तित्व न मिट जाय ।
इतिहास गँवा है इस तोड़ में ,
कहीं फिर हर देश जापान ना बन जाय ।
ग़रीब जनों का पेट काटकर ,
ये विश्फोटक न बनाए जाय ।
अरबों की सम्पत्ति होती नष्ट ,
ये पर्यावरण बचाया जाय ।
तरक्की हितकर है पर
मानव , मानवता बचाई जाय ।
हर वैज्ञानिक का ,
दिमाग़ विश्व कल्याण में लगाया जाय ।
सकल विश्व एक कुटुंब है ,
क्यों ना अपना घर बचाया जाय ।
।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...
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