सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

तरक्की हितकर है किन्तु

वैश्वीकरण की होड में ,
                   कहीं भारत पीछे न छूट जाय ।
विश्फोटकों बमों की होड में,
           कहीं मानव अस्तित्व न मिट जाय ।
इतिहास गँवा है इस तोड़ में ,
     कहीं फिर हर देश जापान ना बन जाय ।
ग़रीब जनों का पेट काटकर ,
                    ये विश्फोटक न बनाए जाय ।
अरबों की सम्पत्ति होती नष्ट ,
                        ये पर्यावरण बचाया जाय ।
तरक्की हितकर है पर
                  मानव , मानवता बचाई जाय ।
हर वैज्ञानिक का ,
      दिमाग़ विश्व कल्याण में लगाया जाय ।
सकल विश्व एक कुटुंब है ,
            क्यों ना अपना  घर बचाया जाय ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रस्मे-वफा के चलते हम एक नहीं हो सकते

इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते । राह जोहते दिन में , रातों को यादों में जगते । तुम्हारे पापा से जो बात की, उत्तर में वो भी ना बोले । तुम्हारी मम्मी जी तो मुझको निठल्ला , नाकारा क्या - क्या कहते । जग वाले तो हमको यों न मिलने देगे मुझको नीच तुमको उच्च जो कहते । सब की नज़रों में जीरो हूं प्रेयसी , तुम ही जो हीरो कहते । हर पल लबों पर नाम तुम्हारा , ज़्यादातर पक्ति लिखते । मैंने तो निर्णय किया है प्रेयसी , हम प्यार तुम्ही से करते । ये खत लिखा है तुमको रोया हूं लिखते - लिखते । इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते ।

वर्ण पिरामिड

तू मुझे जग से प्यारा ही है ना छोड़ के जा मेरी पूजा भी तू माँ जमीं में देवता ।। मैं बिन तेरे हूँ अधूरा सा गम में मारा लगता क्यों सारा बनता हूँ .....बेचारा ।। चंद्रप्रकाश बहुगुणा /म...

।। मैं और मेरा भोला पन ।।

लोग चांद तक पहुंच गये .....       मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं....                              लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर  ....                  मैं अभी भी हालातों के उख...