सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

तरक्की हितकर है किन्तु

वैश्वीकरण की होड में ,
                   कहीं भारत पीछे न छूट जाय ।
विश्फोटकों बमों की होड में,
           कहीं मानव अस्तित्व न मिट जाय ।
इतिहास गँवा है इस तोड़ में ,
     कहीं फिर हर देश जापान ना बन जाय ।
ग़रीब जनों का पेट काटकर ,
                    ये विश्फोटक न बनाए जाय ।
अरबों की सम्पत्ति होती नष्ट ,
                        ये पर्यावरण बचाया जाय ।
तरक्की हितकर है पर
                  मानव , मानवता बचाई जाय ।
हर वैज्ञानिक का ,
      दिमाग़ विश्व कल्याण में लगाया जाय ।
सकल विश्व एक कुटुंब है ,
            क्यों ना अपना  घर बचाया जाय ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

।। सम्भावना ।।

               ।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...

वर्ण पिरामिड

तू मुझे जग से प्यारा ही है ना छोड़ के जा मेरी पूजा भी तू माँ जमीं में देवता ।। मैं बिन तेरे हूँ अधूरा सा गम में मारा लगता क्यों सारा बनता हूँ .....बेचारा ।। चंद्रप्रकाश बहुगुणा /म...

चिकित्सक भगवान या राक्षस

चिकित्सक को भगवान समझा जाता है ये एक सच्चा झूठ है , ये मैं कहीं पढ़ी हुई बात नहीं कर रहा हूँ अपितु देखा हुआ बोल रहा हूँ । हमारे देश में एम्स को उत्तम कोटि के चिकित्सालय समझ जाता ह...