वैश्वीकरण की होड में ,
कहीं भारत पीछे न छूट जाय ।
विश्फोटकों बमों की होड में,
कहीं मानव अस्तित्व न मिट जाय ।
इतिहास गँवा है इस तोड़ में ,
कहीं फिर हर देश जापान ना बन जाय ।
ग़रीब जनों का पेट काटकर ,
ये विश्फोटक न बनाए जाय ।
अरबों की सम्पत्ति होती नष्ट ,
ये पर्यावरण बचाया जाय ।
तरक्की हितकर है पर
मानव , मानवता बचाई जाय ।
हर वैज्ञानिक का ,
दिमाग़ विश्व कल्याण में लगाया जाय ।
सकल विश्व एक कुटुंब है ,
क्यों ना अपना घर बचाया जाय ।
इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते । राह जोहते दिन में , रातों को यादों में जगते । तुम्हारे पापा से जो बात की, उत्तर में वो भी ना बोले । तुम्हारी मम्मी जी तो मुझको निठल्ला , नाकारा क्या - क्या कहते । जग वाले तो हमको यों न मिलने देगे मुझको नीच तुमको उच्च जो कहते । सब की नज़रों में जीरो हूं प्रेयसी , तुम ही जो हीरो कहते । हर पल लबों पर नाम तुम्हारा , ज़्यादातर पक्ति लिखते । मैंने तो निर्णय किया है प्रेयसी , हम प्यार तुम्ही से करते । ये खत लिखा है तुमको रोया हूं लिखते - लिखते । इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते ।
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