हम जाना चाहते हैं सब छोड़कर फिर इंतज़ार बाकी है ,
चाहे तुम हमसे नफ़रत ही करो पर हमारे तो दिल में प्यार बाकी है ।
दिन तो कट ही जाते है कुछ कामों में चनदर ,
लगता है फिर रातों को दिल का गुबार बाकी है ।
दौड़ भरे जीवन में कट जाते हैं हफ़्ते महीने दो चार ,
फिर लगता है वह छुट्टी वाला इतवार (रविवार) बाकी है ।
जब भी मिलते थे उन के हमारे नयन चार,
हर पल हर क्षण लगता था एतबार बाकी है ।
जब भी प्रेम में हम डूबने लगते हैं ,
फिर लगता है वो क़रार बाकी है ।
जब भी देखता हूँ उस बेवफा को ,
एक पल के लिए लगता है कुछ प्यार बाकी है ।
छोड़ना चाहता हूं इस जग को तुम को ,
फिर लगता है इश्तहार बाकी है ।
लोग चांद तक पहुंच गये ..... मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं.... लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर .... मैं अभी भी हालातों के उख...
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