हम जाना चाहते हैं सब छोड़कर फिर इंतज़ार बाकी है ,
चाहे तुम हमसे नफ़रत ही करो पर हमारे तो दिल में प्यार बाकी है ।
दिन तो कट ही जाते है कुछ कामों में चनदर ,
लगता है फिर रातों को दिल का गुबार बाकी है ।
दौड़ भरे जीवन में कट जाते हैं हफ़्ते महीने दो चार ,
फिर लगता है वह छुट्टी वाला इतवार (रविवार) बाकी है ।
जब भी मिलते थे उन के हमारे नयन चार,
हर पल हर क्षण लगता था एतबार बाकी है ।
जब भी प्रेम में हम डूबने लगते हैं ,
फिर लगता है वो क़रार बाकी है ।
जब भी देखता हूँ उस बेवफा को ,
एक पल के लिए लगता है कुछ प्यार बाकी है ।
छोड़ना चाहता हूं इस जग को तुम को ,
फिर लगता है इश्तहार बाकी है ।
।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें