दर्द सहा करो ,
फिर भी हँसा करो ।
ग़म छुपाया करो ,
यों मुस्कुराया करो ।
अपने जीवन का भी ,
मज़ा उठाया करो ।
महल तो रोशनी से जगमगाते सभी ।
कभी झोपड़े में भी दिया जलाया करो ।
अपनों को तो दुख-सुख देते सभी ,
गैरों के दुःख-सुख में मिल जाया करो ।
लोग चांद तक पहुंच गये ..... मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं.... लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर .... मैं अभी भी हालातों के उख...
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