दर्द सहा करो ,
फिर भी हँसा करो ।
ग़म छुपाया करो ,
यों मुस्कुराया करो ।
अपने जीवन का भी ,
मज़ा उठाया करो ।
महल तो रोशनी से जगमगाते सभी ।
कभी झोपड़े में भी दिया जलाया करो ।
अपनों को तो दुख-सुख देते सभी ,
गैरों के दुःख-सुख में मिल जाया करो ।
।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...
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