।। बड़ा मज़ा आता है ।।
दूसरे के फेसबुक अकाउंट में उसके Friend को Friendship अनुरोध भेजने में ,किसी Friend से Book लेकर कई रोज़ घर रख कर पढ़ने में बड़ा मज़ा आता है ।
छुटकी को चिढ़ाने , बड़ों की बात न मानने में बड़ा मज़ा आता है ,
किताब पढ़ने के बहाने Friend से
चैटिंग करने में , बड़ों के बीच होशियार दिखाने में बड़ा मज़ा आता है ।
किसी सुन्दर लड़की को चुपके से देखने में ,किसी लड़के से उस का नम्बर लेनेमें बड़ा मज़ा आता है ।
किसी की शादी में जाकर Free की खूब सारी Ice cream खाने में ,खाना खा कर बुराई करने में बड़ा मज़ा आता है ।
दूसरे के फ़ोन से Msg पढ़ना में , फ़ालतू के जोक भेजने में बड़ा मज़ा आता है ।
प्यार है क्या ? यह प्रश्न हर किसी के मन में आता होगा । कई लोग इसे वासना के तराजू से तौलने की कोशिश करते हैं और कई केवल स्वार्थपूर्ति लेकिन ये सब हमारी गलती नहीं है आधुनिक समाज के मानव का स्वभाव है । लेकिन प्रेम/प्यार इन चीजों से काफ़ी आगे है ,उदाहरण स्वरूप आप एक कुत्ते के पिल्ले से प्यार करते हैं तो आप उस से कुछ आश रखते हो क्या ?और एक माँ से पूछना कि उस का जो वात्सल्य तुम्हारे प्रति है उस प्रेम के बदले वह कुछ चाहती है क्या ? नहीं ना तो तुम इसे स्वार्थ के तराजू से तौलने की क्यों कोशिश करते हो ? मुझे नहीं समझ आता शायद ये मुझ जैसे व्यक्ति के समझ से परे है । और प्यार हम किसी से भी करें बस उसका नाम बदल जाता है --- एक बच्चे का माँ से जो प्यार होता है वह वात्सल्य कहलाता है । किसी जानवर या अन्य प्राणी से किया प्यार दया भाव या आत्मीयता का भाव जाग्रत करता है । अपनी बहन,भाई और अन्य रिश्तों में जो प्यार होता है वह भी कहीं ना कहीं आत्मीयता के अर्थ को संजोए रखता है । और हमारा प्रकृति के प्रति प्रेम उसे तो हम शायद ही शब्दों के तराजू से तोल पाएं क्योंकि उस में कोई भी स्वार्थ नहीं है बस खोने का म
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें