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दिल का दर्द

मैं दर्द लिखता गया , 
जमाना वाह वाही करने लगा ।
ना वो पगली समझी ,
हर कोई समझाने लगा ।
ना मैं उसे छोड़ सकता था,
ना दर्द लिखना छोड़ सकता था ।
उसने भी मुँह मोड़ लिया ,
फिर भी जमाना मुझे बेवफा समझने लगा ।

जबकि मैं अभी भी दर्द लिखता हूं ,
लेकिन वो किसी का घर रोशन कर रही है ।

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