सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

तुम हो

कैसे कहूँ ? मेरे बदलाव का कारण तुम हो ,
तुम मानोगी नहीं लेकिन तुम हो ।
घन्टों निहारता रहता हूँ आयने में खुद को ,
सजता हूँ सवरता हूँ जिसका कारण तुम हो ।।
मेरे ख्वाबों का कारण भी तुम हो ,
मैं सोया रहना चाहता हूँ ...
क्योंकि हम को ख्वाबों में कोई अलग नहीं कर सकता है ...
शायद तुम भी नहीं मैं भी नहीं ...।।
ये प्रेम ही है शायद या कुछ और क्या कहती हो ..?
मुझे तो नहीं पता बस हृदय उत्सव मना रहा है ...।
मैं लय चाहता हूँ ..
बस तुम मैं ..
तुम क्या कहती हो ?

चन्द्रप्रकाश बहुगुना /माणिक्य /पंकज

सम्पर्क सूत्र संख्या -+९१७५०३७७२८७१

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

।। मैं और मेरा भोला पन ।।

लोग चांद तक पहुंच गये .....       मैं बचपन के खिलौनों से खेलता हूं....                              लोग इतने चालाक हो गये कि मत पूछ चन्दर  ....                  मैं अभी भी हालातों के उख...

रस्मे-वफा के चलते हम एक नहीं हो सकते

इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते । राह जोहते दिन में , रातों को यादों में जगते । तुम्हारे पापा से जो बात की, उत्तर में वो भी ना बोले । तुम्हारी मम्मी जी तो मुझको निठल्ला , नाकारा क्या - क्या कहते । जग वाले तो हमको यों न मिलने देगे मुझको नीच तुमको उच्च जो कहते । सब की नज़रों में जीरो हूं प्रेयसी , तुम ही जो हीरो कहते । हर पल लबों पर नाम तुम्हारा , ज़्यादातर पक्ति लिखते । मैंने तो निर्णय किया है प्रेयसी , हम प्यार तुम्ही से करते । ये खत लिखा है तुमको रोया हूं लिखते - लिखते । इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते ।

टापर हूँ मैं ।

मैं टापर हूँ बिहार का ..। देश का भविष्य हूँ । चाणक्य हूँ मैं । मैं ही बूद्ध हूँ । नये ज्ञान का सृजन हूँ मैं ..। मैं ही ज्ञान -विज्ञान हूँ । टापर हूँ मैं । माणिक्य बहुगुना