सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

तुम हो

कैसे कहूँ ? मेरे बदलाव का कारण तुम हो ,
तुम मानोगी नहीं लेकिन तुम हो ।
घन्टों निहारता रहता हूँ आयने में खुद को ,
सजता हूँ सवरता हूँ जिसका कारण तुम हो ।।
मेरे ख्वाबों का कारण भी तुम हो ,
मैं सोया रहना चाहता हूँ ...
क्योंकि हम को ख्वाबों में कोई अलग नहीं कर सकता है ...
शायद तुम भी नहीं मैं भी नहीं ...।।
ये प्रेम ही है शायद या कुछ और क्या कहती हो ..?
मुझे तो नहीं पता बस हृदय उत्सव मना रहा है ...।
मैं लय चाहता हूँ ..
बस तुम मैं ..
तुम क्या कहती हो ?

चन्द्रप्रकाश बहुगुना /माणिक्य /पंकज

सम्पर्क सूत्र संख्या -+९१७५०३७७२८७१

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

।। सम्भावना ।।

               ।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...

वर्ण पिरामिड

तू मुझे जग से प्यारा ही है ना छोड़ के जा मेरी पूजा भी तू माँ जमीं में देवता ।। मैं बिन तेरे हूँ अधूरा सा गम में मारा लगता क्यों सारा बनता हूँ .....बेचारा ।। चंद्रप्रकाश बहुगुणा /म...

चिकित्सक भगवान या राक्षस

चिकित्सक को भगवान समझा जाता है ये एक सच्चा झूठ है , ये मैं कहीं पढ़ी हुई बात नहीं कर रहा हूँ अपितु देखा हुआ बोल रहा हूँ । हमारे देश में एम्स को उत्तम कोटि के चिकित्सालय समझ जाता ह...