सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

प्यार लिया फिरता हूँ

मैं खुद तो उद्गार लिया फिरता हूँ ..
जीवन में फिर भी प्यार लिया फिरता हूँ ।
मैं रमता जोगी हूँ ना घर , ना पैसे .
फिर भी लोगों को प्यार दिया फिरता हूँ ।।
माणिक्य बहुगुना / पंकज / चंद्र प्रकाश

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

।। सम्भावना ।।

               ।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...

वर्ण पिरामिड

तू मुझे जग से प्यारा ही है ना छोड़ के जा मेरी पूजा भी तू माँ जमीं में देवता ।। मैं बिन तेरे हूँ अधूरा सा गम में मारा लगता क्यों सारा बनता हूँ .....बेचारा ।। चंद्रप्रकाश बहुगुणा /म...

चिकित्सक भगवान या राक्षस

चिकित्सक को भगवान समझा जाता है ये एक सच्चा झूठ है , ये मैं कहीं पढ़ी हुई बात नहीं कर रहा हूँ अपितु देखा हुआ बोल रहा हूँ । हमारे देश में एम्स को उत्तम कोटि के चिकित्सालय समझ जाता ह...