मैं खुद तो उद्गार लिया फिरता हूँ ..
जीवन में फिर भी प्यार लिया फिरता हूँ ।
मैं रमता जोगी हूँ ना घर , ना पैसे .
फिर भी लोगों को प्यार दिया फिरता हूँ ।।
माणिक्य बहुगुना / पंकज / चंद्र प्रकाश
।। सम्भावना ।। सम्भावना शब्द संस्कृत में सम उपसर्ग पूर्वक भू सत्तायाम् धातु से ण्यन्त् में ल्युट और टाप् प्रत्यय करने पर निष्पत्ति होती है । सम्भावना जीव...
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