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भारतीय राजनीति

हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष ने अपने सभी सदस्यों को बुलाया और बच्चों की समस्याएँ बताई कि हिन्दी में बच्चों को कबीर , रहीमादि समझ नहीं आते और न ही वर्तमान में इसका कोई महत्व है । क्यों ना कुछ रोचक पढ़ाया जाय ?
एक महाशय बीच ही बोल दिए सनी लिओनी का संघर्ष पढ़ाया जाय तो ?
और संघर्ष दिखाया जाय तो कैसा रहेगा ?
कुछेक ने नाक - मुँह बनाये ...।
कुछ समर्थन में उतर आये ...?
और कुछेक ने अभिव्यक्ति की आज़ादी का हनन का नाम दिया । कुछेक अंशन पर बैठे ।
बात बच्चों तक पहुँची , नन्हे बच्चे रोडों में उतरे और हंगामा मचाया । बात मंत्री जी तक पहुँची । विपक्षियों ने हंगामा मचाया ..। हमें आज़ादी चाहिए विषय वस्तु बनाने की देश के हर कोने से पक्ष - विपक्ष में उतरे लोग ..।
लोग भुखमरी से मर रहे थे मंत्री जी भाषणों में अडे थे । लोकसभा , राज्यसभा में हंगामा हुआ । आजादी आज़ादी ।
कुछेक महिमामंडित करने लगे लोगों को । टी.वी. की टीआरपी बड़ी ।

माणिक्य बहुगुना

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रस्मे-वफा के चलते हम एक नहीं हो सकते

इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते । राह जोहते दिन में , रातों को यादों में जगते । तुम्हारे पापा से जो बात की, उत्तर में वो भी ना बोले । तुम्हारी मम्मी जी तो मुझको निठल्ला , नाकारा क्या - क्या कहते । जग वाले तो हमको यों न मिलने देगे मुझको नीच तुमको उच्च जो कहते । सब की नज़रों में जीरो हूं प्रेयसी , तुम ही जो हीरो कहते । हर पल लबों पर नाम तुम्हारा , ज़्यादातर पक्ति लिखते । मैंने तो निर्णय किया है प्रेयसी , हम प्यार तुम्ही से करते । ये खत लिखा है तुमको रोया हूं लिखते - लिखते । इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते ।

टापर हूँ मैं ।

मैं टापर हूँ बिहार का ..। देश का भविष्य हूँ । चाणक्य हूँ मैं । मैं ही बूद्ध हूँ । नये ज्ञान का सृजन हूँ मैं ..। मैं ही ज्ञान -विज्ञान हूँ । टापर हूँ मैं । माणिक्य बहुगुना