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प्रेम

मुझे इतने प्रेम से गले मत लगाओ ..
मुझे देश के लिए लड़ना है
मैं कमज़ोर न पड़ जाऊँ ..
तुम ईश्वर से प्रार्थना करना ।
मैं अगर मर जाऊँ लड़ते लड़ते ..
मुझे बस एक बार छू लेना  ..
मेरे बच्चों को मुझे मत दिखाना ..
क्या पता मैं उठ जाऊँ ?
तुम दूसरा विवाह कर लेना ..
अगर मैं ना लौटा तो ..
मेरा पैसा , घर तुम्हारे नाम पे है ..
तुम ख़ुश रहना  ऐसे ही ।
मेरी रुह तुम्हारा दुःख सहन नहीं कर पाएगी ...
तुम मेरे बचे अंगों को जलाना मत ,
दफनाना मत , दान कर देना ।
मैं तुम्हारी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाया ...
ना ही तुम्हें प्यार दे पाया जिसपे तुम्हारा हक़ था ..
मैं तुम्हारा अपराधी बन सकता हूँ .
देश का नहीं ।
तुम मेरी किताबें , तुम्हारे प्रेम पत्र जलाना मत ..
मेरी और तुम्हारे कुछ फोटोज हैं उन्हें फेंकना मत ..
तुम खिडकियाँ खोले रखना मैं तुम्हें देखने आया करूँगा ...
हवा , पानी , रोशनी , अंधेरा बन कर ।
माणिक्य बहुगुना

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रस्मे-वफा के चलते हम एक नहीं हो सकते

इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते । राह जोहते दिन में , रातों को यादों में जगते । तुम्हारे पापा से जो बात की, उत्तर में वो भी ना बोले । तुम्हारी मम्मी जी तो मुझको निठल्ला , नाकारा क्या - क्या कहते । जग वाले तो हमको यों न मिलने देगे मुझको नीच तुमको उच्च जो कहते । सब की नज़रों में जीरो हूं प्रेयसी , तुम ही जो हीरो कहते । हर पल लबों पर नाम तुम्हारा , ज़्यादातर पक्ति लिखते । मैंने तो निर्णय किया है प्रेयसी , हम प्यार तुम्ही से करते । ये खत लिखा है तुमको रोया हूं लिखते - लिखते । इन रस्में-वफा के चलते , हम एक नहीं हो सकते ।

टापर हूँ मैं ।

मैं टापर हूँ बिहार का ..। देश का भविष्य हूँ । चाणक्य हूँ मैं । मैं ही बूद्ध हूँ । नये ज्ञान का सृजन हूँ मैं ..। मैं ही ज्ञान -विज्ञान हूँ । टापर हूँ मैं । माणिक्य बहुगुना