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रस्मे-वफा के चलते हम एक नहीं हो सकते

इन रस्में-वफा के चलते ,
हम एक नहीं हो सकते ।


राह जोहते दिन में ,
रातों को यादों में जगते ।

तुम्हारे पापा से जो बात की,
उत्तर में वो भी ना बोले ।

तुम्हारी मम्मी जी तो मुझको
निठल्ला , नाकारा क्या - क्या कहते ।

जग वाले तो हमको यों न मिलने देगे

मुझको नीच तुमको उच्च जो कहते ।


सब की नज़रों में जीरो हूं प्रेयसी ,
तुम ही जो हीरो कहते ।

हर पल लबों पर नाम तुम्हारा ,
ज़्यादातर पक्ति लिखते ।

मैंने तो निर्णय किया है प्रेयसी ,
हम प्यार तुम्ही से करते ।


ये खत लिखा है तुमको
रोया हूं लिखते - लिखते ।


इन रस्में-वफा के चलते ,
हम एक नहीं हो सकते ।

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