अहर्निशः प्रतीक्षेsहं तव कृते .. न जातु आगच्छसि मे निकटे ।1। किम् अहमेव प्रेमं करोमि वा? तव सहस्र प्रतिज्ञा भूत्वा न वा ? ।2। अधुना त्वमेव विस्मरसि किमर्थम मे किन्तु मयि त्वम...
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।
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